Tiharo Krishna Kahat Ka Jat

चेतावनी
तिहारौ कृष्ण कहत का जात
बिछुड़ैं मिलै कबहुँ नहिं कोई, ज्यों तरुवर के पात
पित्त वात कफ कण्ठ विरोधे, रसना टूटै बात
प्रान लिये जैम जात मूढ़-मति! देखत जननी तात
जम के फंद परै नहि जब लगि, क्यों न चरन लपटात
कहत ‘सूर’ विरथा यह देही, ऐतौ क्यों इतरात

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *