Tore Ang Se Ang Mila Ke Kanhai

प्रेम दिवानी
तोरे अंग से अंग मिला के कन्हाई, मैं हो गई काली
मल-मल धोऊँ पर नहीं छूटे, ऐसी छटा निराली
तेरा तन काला और मन काला है, नजर भी तेरी काली
नैनों से जब नैन मिले तो, हो गई मैं मतवाली
तू जैसा तेरी प्रीत भी वैसी, एक से एक निराली
करूँ लाख जतन फिर भी नहीं छूटे, ऐसी मोहिनी डाली
जित देखूँ तित काली घटायें, भूल सकूँ नहीं आली
गोरी से हो गई रे काली, मुझे जब से मिले बनमाली

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