वन वापसी
विपिन सों आवत भवन कन्हाई
संग गोप गौअन की टोली और सुघड़ बल भाई
गोधूली बेला अति पावन, ब्रज रज वदन सुहाई
नील कमल पै जनु केसर की, सोहत अति सुखराई
साँझ समय यह आवन हरि की, निरखहिं लोग लुगाई
सो छबि निरखन को हमरे हूँ, नयना तरसहिं माई

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