श्रीमद्भगवद् गीता
भगवद्गीता-संदेश अमर
उपहार अनूठा करें ग्रहण, जैसे पुष्पों से सार भ्रमर
गीताजी ऐसा क्रान्ति ग्रन्थ, मानव का जीवन सार्थक हो
जिस पथ पर गये महाजन वो, हम चलें तभी अभ्युदय हो
विपरीत परिस्थिति में जब हम, घिर जायँ न सूझे मार्ग हमें
भ्रम दूर करें, निर्देश करें, गीताजी का कोई श्लोक हमें
हम निश्चयात्मक बुद्धि से, करणीय कर्म करते जायें
फल छोड़े प्रभु के हाथों में, स्थित-प्रज्ञता भी आये
कर्म, ज्ञान या भक्ति मार्ग, अनुकूल हमें हो अपनाये
भक्ति का पथ है सुगम जहाँ, श्री कृष्ण-दरस भी हो जाये

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