कृष्ण आरती
जय जय बालकृष्ण शुभकारी, मंगलमय प्रभु की छबि न्यारी
रत्न दीप कंचन की थारी, आरति करें सकल नर-नारी
नन्दकुमार यशोदानन्दन, दुष्ट-दलन, गो-द्विज हितकारी
परब्रह्म गोकुल में प्रकटे, लीला हित हरि नर-तनु धारी
नव-जलधर सम श्यामल सुन्दर, घुटुरन चाल अमित मनहारी
पीत झगा उर मौक्तिक-माला, केशर तिलक दरश प्रियकारी
दंतुलिया दाड़िम सी दमके, मृदुल हास्य मोहक रुचिकारी
कर-कंकण, चरणों में नूपुर गूँजत आँगन में झंकारी
मुग्ध होत ब्रज के नर नारी, तन मन या छबि ऊपर वारी
वेद-पुराण विमल यश गाये, सुषमा-सागर कलि-मल हारी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *