भक्ति भाव
जीवन के दिन बस चार बचे, क्यों व्यर्थ गँवाये जाता है
क्यों भक्ति योग का आश्रय ले, कल्याण प्राप्त नहीं करता है
अज्ञान तिमिर को दूर करे, भगवान कपिल उपदिष्ट यही
माँ देवहूति को प्राप्त वही, जो नहीं सुलभ अन्यत्र कहीं
श्रद्धापूर्वक निष्काम भाव से, नित्य कर्म अति उत्तम है
प्रतिमा दर्शन,पूजा सेवा, स्तुति भजन श्रेयस्कर है
तू, काम, क्रोध से होए मुक्त, सारे संकट भी हो समाप्त
कर्तव्य, भक्ति में लीन रहे, तो परम सिद्धि हो सहज प्राप्त
जो जीव मात्र में प्राण रूप, अन्तर्यामी चैतन्य विभो
अध्यात्म शास्त्र का श्रवण करे,लीला जो करते वही प्रभो
अपने जैसा सबको समझे, यम नियम आदि का पालन हो
है त्याज्य अहं, प्राणी हिंसा, सत्संग करें संकीर्तन हो

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