परिवर्ती जगत्
जो रहे बदलता जगत वही
रह सकता इक सा कभी न ये, जो समझे शांति भी मिले यहीं
जो चाहे कि यह नहीं बदले, उन लोगों को रोना पड़ता
हम नहीं हटेगें कैसे भी, विपदा में निश्चित वह फँसता
जो अपने मन में धार लिया,हम डटे रहेंगे उस पर ही
वे भूल गये यह अटल सत्य, विधि का विधान टल सके नहीं

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