गजेन्द्र स्तुति
निर्मल विवेक हो अन्त समय
गजेन्द्र-मोक्ष स्तवन करे, नित ब्रह्म मुहूर्त में हो तन्मय
अद्भुत स्तुति नारायण की, जो गजेन्द्र द्वारा सुलभ हमें
हो अन्त समय में जैसी मति, वैसी ही गति हो प्राप्त हमें
पापों, विघ्नों का शमन करें, स्तुति श्रेय यश को देती
निष्काम भाव अरू श्रद्धा से, हम करें कष्ट सब हर लेती 

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