Sandhyopasan Dwij Nitya Kare

सन्ध्योपासना
संध्योपासन द्विज नित्य करे, पातक उनके अनिवार्य जरे
प्रातः, मध्याह्न तथा सायं, होए उपासना क्लेश हरे
संध्यावन्दन में सूरज को, जल से हम अर्घ्य प्रदान करें
ब्रह्मस्वरूपिणी गायत्री का, मंत्र विधिवत् जाप करे
संध्या-महत्व को नहीं जाने वह नहीं करे तक संध्या को
शुभ कर्मों का फल नहीं मिले, जीते जी क्षुद्र कहें उसको

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