आत्मानुभूति
शाश्वत साथी बस आत्मा ही
जन्म से पूर्व, मृत्यु के बाद, रहता जो निरन्तर एक यही
वह नहीं छोड़ता कभी हमें, परमात्मा का ही अंश जान
परिवार प्रति कर्तव्य व्यक्ति का, इसका भी होए सदा मान
रागात्मक भाव नहीं किन्तु, अनुभूति विराग की हो मन में
निर्वहन करे दायित्वों का व पालन करे यथा दिन में

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *