मानव जीवन
यह जीवन कितना सुन्दर है
जो सदुपयोग ना कर पाये, फिर तो पाया क्या जीवन में
खाया पीया अरु भोग किया, अन्तर न रहा नर पशुओं में
जो सोच समझने की शक्ति, वरदान रूप में मिली हमें
उद्देश्य पूर्ण जीवन जीते, सुर दुर्लभ जीवन मिला हमें
संस्कार साथ में ही जाते, इसका कुछ सोच विचार करें
आत्मोद्धार अरु सेवा में, जीवन को सदा व्यतीत करें

प्रभु का ध्यान
यह विनती है पल-पल, क्षण-क्षण,रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में
चाहे बैरी सब संसार बने, चाहे जीवन मुझ पर भार बने
चाहे मौत गले का हार बने, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में
चाहे संकट ने मुझे घेरा हो, चाहे चारों ओर अँधेरा हो
पर मन नहीं मेरा डगमग हो, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में
जब-जब संसार का कैदी बनूँ, निष्काम भाव से कर्म करूँ
जय-हार तुम्हारे हाथों में, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में
जिह्वा पे तुम्हारा नाम रहे, दिन रात हृदय से स्मरण करूँ
मन-मन्दिर में घनश्याम रहे, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में

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