Madhuri Murali Adhar Dhare

मुरली का जादू माधुरी मुरली अधर धरैं बैठे मदनगुपाल मनोहर सुंदर कदँब तरैं इत उत अमित ब्रजबधू ठाढ़ी, विविध विनोद करैं गाय मयूर मधुप रस माते नहीं समाधि टरैं झाँकी अति बाँकी ब्रजसुत की, कलुष कलेश हरैं बसत नयन मन नित्य निरंतर, नव नव रति संचरैं

Advitiy Madhuri Jodi

युगल माधुर्य अद्वितीय माधुरी जोड़ी, हमारे श्याम श्यामा की रसीली रसभरी अखियाँ, हमारे श्याम श्यामा की चितवनि कटीली बाँकी सुघड़ सूरत मधुर बतियाँ लटकनें कान में सुन्दर, हमारे श्याम श्यामा की मुकुट और चन्द्रिका माथे, अधर पर पान की लाली अहो! कैसी भली छबि है, हमारे श्याम श्यामा की प्रेम में वे पगे विहरें, श्री […]