गुरुदेव आरती
जय जय जय गुरु देव
जय गुरुदेव दयालू, भक्तन हितकारी
व्यास रुप हे सद्गुरु, जाऊँ बलिहारी
हरि हर ब्रह्मा रूपा, मुद मंगलकारी
वेद, पुराण, पुकारे, गुरु महिमा भारी
काम, क्रोध, मद, मत्सर, लोभ दोष सारे
ज्ञान खड्ग के द्वारा, गुरु सबको मारे
भव-सागर अति दुर्गम, भँवर पड़े गहरे
सद्गुरु नाव केवटिया, क्षण में ही उबरे
नाना पंथ जगत् में, सबको भरमाये
उन्मूलन कर संशय, सत्पथ दिखलाये
विद्या-वारिधि स्वामी, भ्रम को शीघ्र हरे
पद-नख-मणि की ज्योति, हृदय प्रकाश भरे
सेवा, संयम, भक्ति, प्रज्ञा, धन दीजै
गुरु बिन सदा भटकते, कोटि यत्न कीजै
श्री गुरुदेव की आरति, जो कोइ जन गाये
अशुभ मिटे सुख आये, निर्मल मति पाये
Jay Jay Jay Tulsi Maharani
तुलसी आरती
जय जय जय तुलसी महारानी, महिमा अमित पुराण बखानी
प्रादुर्भाव विष्णु के द्वारा, पूजनीय भक्तन मन मानी
तेरे श्री अंगो से प्रकटे, मंजरिया, पल्लव मन-भाये
शालिग्राम शिला का पूजन, तुमसे करे सदा सुख पाये
हरि पूजन में तुम्हें चढ़ाये, कलिमल-नाश करे पुण्यार्जन
गो का दान दिलाये जो फल, सुलभ कराये तेरा दर्शन
विश्वपूजिता, कृष्णभावनी! मंगल आरती करें तुम्हारी
अविचल भक्ति मिले श्री हरि की, वर दो विनती यही हमारी
Aarti Reva Ki Kije
नर्मदा आरती
आरती रेवा की कीजै, अमृत-पय मन भर पी लीजै
साधु संतों की प्रियकारी, सुभग सौभाग्य कीर्तिवारी
नर्मदे बहती करि हर हर, सुधा सम जल में नित भीजै
दरस से दुख दुष्कृत काटो, अमृत-रस भक्तों को बाँटो
सतत यमदूतों को डाँटो, शरण चरणों की माँ दीजै
शम्भु की पुत्री सुकुमारी, जननि गिरिजा की अति प्यारी
विंध्य-सुता मेकल सिर धारी, कृपा बिनु जीवन यह छीजै
जननि तव महिमा को गाऊँ, मनोहर मूरति नित ध्याऊँ
पाद-पद्मों में सिर नाऊँ, हमें माँ अपनो करि लीजै आरती….
Aarti Kalindi Maiya
यमुना आरती
आरती कालिंदी मैया की, कृष्ण-प्रिया श्री जमुनाजी की
जय श्यामा शुभदायिनी जय जय, मन वांछित फलदायिनि जय जय
जय ब्रज-मण्डल-वासिनि जय जय, सरिता पाप-विनाशिनि जय जय
जय कलि-कलुष-नसावनि जय जय, मंगलमय माँ पावनी, जय जय
जय गोलोक-प्रदायिनि जय जय, जय मधु गन्ध-विलासिनि जय जय
Jay Ganga Maiya
गंगा आरती
जय गंगा मैया, माँ जय सुरसरि मैया
आरती करे तुम्हारी, भव-निधि की नैया
हरि-पद-पद्म-प्रसूति, विमल वारिधारा
ब्रह्म द्रव भागीरथि, शुचि पुण्यागारा
शंकर-जटा विहारिणि, भव-वारिधि-त्राता
सगर-पुत्र गण-तारिणि, स्नेहमयी माता
‘गंगा-गंगा’ जो जन, उच्चारे मुख से
दूर देश स्थित भी, पाये मुक्तिभय से
मृत व्यक्ति की अस्थियाँ जो प्रवेश पाये
वो भी पावन होकर परम धाम जाये
हे माता करुणामयी, शरण मुझे दीजै
आरती करें तुम्हारी, आप कृपा कीजै
Aarti Shri Ramcharit Manas Ki
श्री रामचरित मानस- रामायण आरती
आरती रामचरित मानस की, रचना पावन चरित राम की
निगमागम का सार इसी में, वाल्मीकि ऋषि, तुलसी गाये
रामचरितमानस रामायण, निश्चल-भक्ति सुधा बरसाये
पति-व्रत, बन्धु-प्रेम, मर्यादा, माँ सीता का चरित सुहाये
आज्ञापालन, राज-धर्म, त्यागी जीवन आदर्श बताये
साधु-संत प्रिय, कलिमलहारी, दुःख शोक अज्ञान मिटाये
श्रद्धा-युत हो श्रवण करे जो, कहें सुने भव-ताप नसाये
Aarti Shri Bhagwad Gita Ki
श्रीमद्भगवद्गीता आरती
आरती श्री भगवद्गीता की, श्री हरि-मुख निःसृत विद्या की
पृथा-पुत्र को हेतु बनाकर, योगेश्वर उपदेश सुनाये
अनासक्ति अरु कर्म-कुशलता, भक्ति, ज्ञान का पाठ पढ़ाये
करें कर्म-फल प्रभु को अर्पण, राग-द्वेष मद मोह नसाये
वेद उपनिषद् का उत्तम रस, साधु-संत-जन के मन भाये
करें सार्थक मानव जीवन, भव-बंधन, अज्ञान मिटायें
अद्भुत, गुह्य, पूजनीय गाथा, मानव जीवन सफल बनाये
Aarti Karen Bhagwat Ji Ki
श्रीमद्भागवत आरती
आरती करें भागवतजी की, पंचम वेद से महा पुराण की
लीलाएँ हरि अवतारों की, परम ब्रह्म भगवान कृष्ण की
कृष्ण वाङ्मय विग्रह रूप, चरित भागवत अमृत पीलो
श्रवण करो तरलो भव-कूपा, हरि गुण गान हृदय से कर लो
कथा शुकामृत मन को भाये, शुद्ध ज्ञान वैराग्य समाये
लीला रसमय प्रेम जगाये, भक्ति भाव का रंग बरसाये
जन्म मृत्यु भव-भय को हरती, कलिमल नाशक कथा यही है
सेवन सतत सकल सुख देती, वेद शास्त्र का सार यही है
सत्यकथा मानव हितकारी, पावन परम भागवत गाथा
ज्ञान-भक्ति-युत मंगलकारी, श्रद्धा सहित नवाओ माथा
Aarti Kije Hanuman Lala Ki
हनुमान आरती
आरती कीजै हनुमानलला की, दुष्टदलन रघुनाथ कला की
जाके बल से गिरिवर काँपे, रोग दोष जाके निकट न आवे
अंजनिपुत्र महा-बल दाई, संतन के प्रभु सदा सहाई
दे बीड़ा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सीया सुधि लाये
लंका-सो कोट, समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई
लंका जारि असुर संहारे, सीतारामजी के काज सँवारे
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आनि सजीवन प्रान उबारे
पैठि पताल तोरि जम-तारे, अहि रावन की भुजा उखारे
बायें भुजा असुर दल मारे, दाहिनी भुजा संत जन तारे
सुर नर मुनि आरती उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई
जो हनुमानजी की आरति गावै, बसि वैकुंठ परम पद पावै
Aarti Saraswati Ki Kariye
सरस्वती आरती
आरति सरस्वती की करिये, दिव्य स्वरूप सदा मन भाये
हरि, हर, ब्रह्मा तुमको ध्यायें, महिमा अमित देव ॠषि गायें
श्वेत पद्म अगणित राका सी, अंग कांति मुनिजन को मोहे
हंस वाहिनी ब्रह्म स्वरूपा, वीणा, पुस्तक कर में सोहे
श्रेष्ठ-रत्न-आभूषण धारी, स्मृति बुद्धि शक्ति स्वरूपा
शेष, व्यास, ऋषि वाल्मीकि पूजित, पतित पावनी सरिता रूपा
सनातनी, वाणी, ब्रह्माणी, जय जय बारम्बार तुम्हारी
सुरेश्वरी हे ज्ञानस्वरूपा, मैया! जड़ता हरो हमारी