Khambha Fadke Pragate Narhari
नरसिंह रूप खम्भ फाड़के प्रगटे नरहरि, अपनों भक्त उबार्यो दैत्यराज हिरणाकशिपु को, नखते उदर विदार्यो नरसिंहरूप धर्यो श्रीहरि ने, धरणी भार उतार्यो जय-जयकार भयो पृथ्वी पे, सुर नर सबहिं निहार्यो कमला निकट न आवे, ऐसो रूप कबहुँ नहीं धार्यो चूमत अरु चाटत प्रह्लाद को, तुरत ही क्रोध निवार्यो राजतिलक दे दियो प्रभु ने, हस्त कमल […]
Chal Rahe Bakaiyan Manmohan
बालकृष्ण चल रहे बकैयाँ मनमोहन, सन गये धूल में जो सोहन जब नहीं दिखी मैया उनको किलकारी मारे बार बार माँ निकट रसोईघर में थी, गोदी में लेकर किया प्यार आँचल से अंगों को पोछा और दूध पिलाने लगी उन्हें क्षीरोदधि में जो शयन करें, विश्वम्भर कहते शास्त्र जिन्हें
Chintan Karti Sada Gopiyan
गौधरण चिन्तन करतीं सदा गोपियाँ, मुरलीधर का रम जातीं कर गान श्याम की लीलाओं का जभी चराने गौंओं को वे वन में जाते उनकी चर्चा करें, शाम तक जब वे आते अरी सखी! वंशी में जब वे स्वर को भरते सिद्ध पत्नियों के मन को नन्दनन्दन हरते मोर पंख का मुकट श्याम के मस्तक सोहे […]
Jay Jayati Jay Raghuvansh Bhushan
श्रीराम स्तुति जय जयति जय रघुवंश भूषण, राम राजिव लोचनम् त्रय ताप खण्डन जगत् मण्डन ध्यान गम्य अगोचरम् अद्वैत अविनाशी अनिन्दित, मोद प्रद अरि गंजनम् भव वारिधि के आप तारक, अन्य जगत् विडम्बनम् हे दीन दारिद के विदारक! दयासिन्धु कृपा करम् हे आश्रितों के आप पालक! दु:ख शोक विनाशकम्
Jo Kamal Nayan Prasanna Vadan
श्रीराम स्तुति जो कमल-नयन प्रसन्न वदन, पीताम्बर लंकृत श्रीराम प्रभु असुर-निकंदन, हितकारी गो-द्विज के, राघव को प्रणाम जिनकी माया के वशीभूत, यह जगत् सत्य लगता हमको नौका हैं चरण कमल जिनके, भवसागर से तर जाने को है अविनाशी घटघट वासी, इन्द्रियातीत सच्चिदानन्द हे भव-भय-भंजन, मुनि-जन रंजन, लक्ष्मीपति करुणानिधि मुकुन्द शारदा, शेष, सुर, ऋषिमुनि भी, यशगान […]
Tulsi Mira Sur Kabir
भक्त कवि तुलसी मीरा सूर कबीर, एक तूणीर में चारों तीर इन तीरों की चोट लगे तब रक्त नहीं, बहे प्रेम की नीर एक तूणीर में चारो तीर, तुलसी मीरा सूर कबीर तुलसीदास हैं राम पुजारी, मीरा के प्रभु गिरधारी सूरदास सूरज सम चमके, सहज दयालु संत कबीर एक तूणीर में चारो तीर, तुलसी मीरा […]
Dharti Mata Ye Samjhaye
निर्वेद धरती माता यह समझाये जिसको तू अपना है कहता, कुछ भी साथ न जाए मुझको पाने को ही प्यारे तुम, आपस में क्यों लड़ते खोया विवेक जो मिला प्रभु से मिल जुल क्यों नहीं रहते जो महाराजा सम्राट समझते, पृथ्वीपति अपने को हुए मृत्यु के ग्रास अन्त में, अहंकार था जिनको खोद-खोद मुझको जिसने […]
Nirbal Ke Pran Pukar Rahe Jagdish Hare
जगदीश स्तवन निर्बल के प्राण पुकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे साँसों के स्वर झंकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे आकाश हिमालय सागर में, पृथ्वी पाताल चराचर में ये शब्द मधुर गुंजार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे जब दयादृष्टि हो जाती है, जलती खेती हरियाती है इस आस पे जन उच्चार रहे, जगदीश हरे जगदीश […]
Prabhu Ki Kaisi Sundar Riti
करुणामय प्रभु प्रभु की कैसी सुन्दर रीति विरुद निभाने के कारण ही पापीजन से प्रीति गई मारने बालकृष्ण को, स्तन पे जहर लगाया उसी पूतना को शुभगति दी, श्लाघनीय फल पाया सुने दुर्वचन शिशुपाल के, द्वेषयुक्त जो मन था लीन किया उसको अपने में, अनुग्रह तभी किया था हरि चरणों में मूर्ख व्याध ने, भूल […]
Bangala Bhala Bana Maharaj
नश्वर देह बंगला भला बना महाराज, जिसमें नारायण बोले पाँच तत्व की र्इंट बनाई, तीन गुणों का गारा छत्तीसों की छत बनाई, चेतन चिनने हारा इस बँगले के दस दरवाजे, बीच पवन का थम्भा आवत जावत कछू ना दीखे, ये ही बड़ा अचम्भा इस बँगले में चौपड़ माँडी, खेले पाँच पचीसा कोर्ई तो बाजी हार […]