Piya Itani Vinati Suno Mori

शरणागति पिया इतनी विनती सुनो मोरी औरन सूँ रस-बतियाँ करत हो, हम से रहे चित चोरी तुम बिन मेरे और न कोई, मैं सरणागत तोरी आवण कह गए अजहूँ न आये, दिवस रहे अब थोरी ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, अरज करूँ कर जोरी

Meera Magan Hari Ke Gun Gay

मग्न मीरा मीराँ मगन हरि के गुण गाय साँप-पिटारा राणा भेज्या, मीराँ हाथ दियो जाय न्हाय धोय जब देखण लागी, सालिगराम गई पाय जहर को प्याला राणाजी भेज्या, अमृत दियो बनाय न्हाय धोय जब पीवण लागी, हो गई अमर अँचाय सूल सेज राणाजी भेजी, दीज्यो मीराँ सुलाय साँझ भई मीराँ सोवण लागी, मानो फूल बिछाय […]

Mhare Ghar Aao Pritam Pyara

आओ प्रीतम म्हारे घर आओ प्रीतम प्यारा, जग तुम बिन लागे खारा तन-मन धन सब भेंट धरूँगी, भजन करूँगी तुम्हारा तुम गुणवंत सुसाहिब कहिये, मोमें औगुण सारा मैं निगुणी कछु गुण नहिं जानूँ, ये सब बगसण हारा ‘मीराँ’ कहे प्रभु कब रे मिलोगे, तुम बिन नैण दुखारा

Sanwara Mhari Prit Nibhajyo Ji

शरणागति साँवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी थें छो सगला गुण रा सागर, म्हारा औगुण थे बिसराज्यो जी लोक न धीजै, मन न पतीजै, मुखड़े शब्द सुणाज्यो जी दासी थारी जनम-जनम री, म्हारै आँगण आज्यो जी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, बेड़ो पार लगाज्यो जी

Dar Lage Aur Hansi Aave

कलियुग की रीति डर लागे और हाँसी आवे, गजब जमाना आया रे धन दौलत से भरा खजाना, वैश्या नाच नचाया रे मुट्ठी अन्न जो साधू माँगे, देने में सकुचाया रे कथा होय तहँ श्रोता जावे, वक्ता मूढ़ पचाया रे भाँग, तमाखू, सुलफा, गाँजा, खूब शराब उड़ाया रे उलटी चलन चले दुनियाँ में, ताते जी घबराया […]

Rahna Nahi Des Birana Hai

नश्वर संसार रहना नहीं देस बिराना है यह संसार कागद की पुड़िया, बूँद पड़े घुल जाना है यह संसार काँट की बाड़ी, उलझ उलझ मरि जाना है यह संसार झाड़ और झाँखर, आग लगे बरि जाना है कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, सतगुरु नाम ठिकाना है

Dhani Dhani Vrindawan Var Dham

श्री वृन्दावन धाम धनि धनि वृन्दावन वर धाम भौतिकता तो नहीं जरा भी, जग प्रपंच को नहिं कछु काम श्यामा श्याम केलि थल अनुपम, नित नूतन क्रीड़ा अभिराम लाड़ लड़ावति लली लालकूँ, राग भोग तजि और न काम पालन सृजन प्रलय देवन को, काम करें अज हरि हर नाम नित्य किशोर किशोरी संग में, रचै […]

Pran Dhan Sundar Shyam Sujan

दर्शन की प्यास प्रानधन! सुन्दर श्याम सुजान छटपटात तुम बिना दिवस निसि, पड़ी तुम्हारी बान कलपत विलपत ही दिन बीतत, निसा नींद नहिं आवै स्वप्न दरसहू भयौ असंभव, कैसे मन सचु पावै अब मत देर करो मनमोहन, दया नैकु हिय धारौ सरस सुधामय दरशन दै निज, उर को ताप निवारौ

Sakhi Ri Ati Natkhat Nandkishor

नटखट कन्हैया सखी री! अति नटखट नंद-किसोर करत छेड़खानी वह हमसों, सुनत न नैंकु निहोर मैया को अति लाड़-लड़ैतो, भयो बड़ो मुँहजोर घर में पैठि चुरावैं माखन, दैत मटुकिया फोर जमुना-तट जा चीर चुरावै, मग में घट दे तोर ऐसे कौतुक करत तदपि सखि, चलत न मन सों जोर चीर-छीर की कहा चलै इन, लियो […]

Radha Ghar Kanan Main Radha

जीवन सर्वस्व राधा राधा घर, कानन में राधा, राधा नित यमुना के तीर राधा मोद, प्रमोद राधिका, राधा बहै नयन बन नीर राधा प्राण बुद्धि सब राधा, राधा नयनों की तारा राधा ही तन मन में छाई, प्रेमानंद सुधा धारा राधा भजन, ध्यान राधा ही, जप तप यज्ञ सभी राधा राधा सदा स्वामिनी मेरी, परमाराध्या […]