Nirbal Ke Pran Pukar Rahe Jagdish Hare

जगदीश स्तवन निर्बल के प्राण पुकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे साँसों के स्वर झंकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे आकाश हिमालय सागर में, पृथ्वी पाताल चराचर में ये शब्द मधुर गुंजार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे जब दयादृष्टि हो जाती है, जलती खेती हरियाती है इस आस पे जन उच्चार रहे, जगदीश हरे जगदीश […]

Pulakit Malay Pawan Manthar Gati

वसंतोत्सव पुलकित मलय-पवन मंथर गति, ऋतु बसंत मन भाये मधुप-पुंज-गुंजित कल-कोकिल कूजित हर्ष बढ़ाये चंदन चर्चित श्याम कलेवर पीत वसन लहराये रंग बसंती साड़ी में, श्री राधा सरस सुहाये भाव-लीन अनुपम छबिशाली, रूप धरे नँद-नंदन घिरे हुवे गोपीजन से वे क्रीड़ा रत मन-रंजन गोप-वधू पंचम के ऊँचे स्वर में गीत सुनाती रसनिधि मुख-सरसिज को इकटक […]

Prabhu Ne Hamko Manuj Banaya

कर्मठता प्रभु ने हमको मनुज बनाया प्रभु का नाम हृदय में रख कर, कर्म करो तन मन से प्यारे निश्चित ही फल प्राप्त करोगे, कभी नहीं हिम्मत को हारें आलस या प्रमाद में खोयें, कभी नहीं अनमोल समय को बीत गया, कल लौट न आये, नहीं दोष दो व्यर्थ भाग्य को करे सदा सत्कर्म व्यक्ति […]

Prem Vastra Ke Bicha Panwde

शबरी का प्रेम प्रेम-वस्त्र के बिछा पाँवड़े, अर्घ्य नमन जल देकर निज कुटिया पर लाई प्रभु को, चरण कमल तब धोकर आसन प्रस्तुत कर राघव को, पूजा फिर की शबरी ने चख कर मीठे बेर प्रभु को, भेंट किये भिलनी ने स्वाद सराहा प्रभु ने फल का, प्रेम से भोग लगाया प्रेम-लक्षणा-भक्ति रूप, फल प्रभु […]

Bhagwan Krishna Lilamrut Ka

ब्रह्माजी का भ्रम भगवान् कृष्णलीलामृत का, हम तन्मय होकर पान करें ब्रह्मा तक समझ नहीं पाये, उन सर्वात्मा का ध्यान धरें यमुनाजी का रमणीय-पुलीन, जहाँ ग्वाल बाल भी सँग में हैं मंडलाकार आसीन हुए, भगवान् बीच में शोभित हैं बछड़े चरते थे हरी घास, मंडली मग्न थी भोजन में भगवान कृष्ण की लीला से, ब्रह्मा […]

Bhula Raha Hai Tu Youwan Main

नवधा भक्ति भूला रहा तू यौवन में, क्यों नहीं समझता अभिमानी तू राग, द्वेष, सुख, माया में, तल्लीन हो रहा अज्ञानी जो विश्वसृजक करुणासागर की तन्मय होकर भक्ति करे प्रतिपाल वहीं तो भक्तों के, सारे संकट को दूर करें हरि स्मरण कीर्तन, दास्य, सख्य, पूजा और आत्मनिवेदन हो हरि-कथा श्रवण हो, वन्दन हो, अरु संतचरण […]

Mero Man Nand Nandan Ju Haryo

श्रीकृष्ण छटा मेरो मन नँद-नन्दन जू हर्यो खिरक दुहावन जात रही मैं, मारग रोक रह्यो वह रूप रसीलो ऐसो री, नित नूतन मन ही फँस्यो वह निरख छटा अब कित जाऊँ, हिरदै में आन बस्यौ तेहि छिन ते मोहिं कछु न सुहावै, मन मेरो लूट लियो त्रिभुवन-सुन्दर प्रति प्रेम सखी, है अटल न जाय टर्यो 

Yashumati Nand Nandan Banwari

वन भेजे यशुमति नँद-नंदन बनवारी रूप माधुरी कमल-नयन की, अद्वितीय मनहारी लटकनी चाल, लकुटिया कर में, गौ-वत्स चराने जाये विद्युत-सी दंतावलि दमके, मनमोहन मुस्काये ग्वाल-बाल सँग भोजन करते, वन में आज बिहारी गोलाकार बिराजै बालक, मध्य गोवर्धनधारी छवि देखने देव देवियाँ, तभी गगन में आये रूप माधुरी निरख श्याम की, आनँद नहीं समाये भोजन में […]

Vipada Mangu Main Giridhari

विपदा की चाह विपदा माँगू मैं गिरिधारी कुन्ती देवी कहे आपने, कई आपदा टारी शत-शत करूँ प्रणाम अकिंचन, हूँ अबोध मैं नारी लाक्षा-गृह अग्नि, हिडिम्ब से रक्षा की असुरारी दुर्वासा भोजन को आये तब भी विपद् निवारी तृप्त किया उनको विश्वम्भर, बची द्रोपदी प्यारी दुष्ट दुशासन ने खीचीं थी, पुत्र-वधू की सारी लियो वस्त्र अवतार, […]

Shyam Main Kaise Darshan Paun

दर्शन की चाह श्याम! मैं कैसे दर्शन पाऊँ दर्शन की उत्कट अभिलाषा और कहीं ना जाऊँ पूजा-विधि भलीभाँति न जानूँ कैसे तुम्हें रिझाऊँ माखन मिश्री का मैं प्रतिदिन, क्या मैं भोग लगाऊँ गोपीजन-सा भाव न मुझमें, कैसे प्रीति बढ़ाऊँ श्री राधा से प्रीति अनूठी, उनके गीत सुनाऊँ तुम्हीं श्याम बतलाओ मुझको, क्या मैं भेंट चढ़ाऊँ […]