अनुरोध
कहौ तुम्ह बिनु गृह मेरो कौन काज ?
विपिन कोटि सुरपुर समान मोको, जो प्रिय परिहर् यो राज
वलकल विमल दुकूल मनोहर, कंदमूल – फल अमिय अनाज
प्रभु पद कमल विलोकहुँ छिन छिन इहितें, अधिक कहा सुख साज
हो रहौ भवन भोग लोलुप ह्वै, पति कानन कियो मुनि को साज
‘तुलसिदास’ ऐसे विरह वचन सुनि, कठिन हियो बिहरो न आज
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Aaj Grah Nand Mahar Ke Badhai
जन्मोत्सव
आज गृह नंद महर के बधाई
प्रात समय मोहन मुख निरखत, कोटि चंद छवि छाई
मिलि ब्रज नागरी मंगल गावति, नंद भवन में आई
देति असीस, जियो जसुदा-सुत, कोटिन बरस कन्हाई
अति आनन्द बढ्यौ गोकुल में, उपमा कही न जाई
‘सूरदास’ छवि नंद की घरनी, देखत नैन सिराई
Nand Grah Bajat Aaj Badhai
श्रीकृष्ण प्राकट्य
नंद गृह बाजत आज बधाई
जुट गई भीर तभी आँगन में, जन्मे कुँवर कन्हाई
दान मान विप्रन को दीनो, सबकी लेत असीस
पुष्प वृष्टि सब करें, देवगण जो करोड़ तैंतीस
व्रज-सुंदरियाँ सजी धजी, कर शोभित कंचन थाल
‘परमानंद’ प्रभु चिर जियो, गावत गीत रसाल