Kahi Main Aise Hi Mari Jeho

वियोग व्यथा कहीं मैं ऐसै ही मरि जैहौं इहि आँगन गोपाल लाल को कबहुँ कि कनियाँ लैहौं कब वह मुख पुनि मैं देखौंगी, कब वैसो सुख पैंहौं कब मोपै माखन माँगेगो, कब रोटी धरि दैंहौं मिलन आस तन प्राण रहत है, दिन डस मारग चैहौं जौ न ‘सूर’ कान्ह आइ हैं तो, जाइ जमुन धँसि […]

Ab Man Krishna Krishna Kahi Lije

श्रीकृष्ण स्मरण अब मन कृष्ण कृष्ण कहि लीजे कृष्ण कृष्ण कहि कहिके जग में, साधु समागम कीजे कृष्ण नाम की माला लेके, कृष्ण नाम चित दीजे कृष्ण नाम अमृत रस रसना, तृषावंत हो पीजै कृष्ण नाम है सार जगत् में, कृष्ण हेतु तन छीजे ‘रूपकुँवरि’ धरि ध्यान कृष्ण को, कृष्ण कृष्ण कहि लीजे