Makhan Ki Chori Te Sikhe

चित चोर माखन की चोरी तै सीखे, कारन लगे अब चित की चोरी जाकी दृष्टि परें नँद-नंदन, फिरति सु मोहन के सँग भोरी लोक-लाज, कुल कानि मेटिकैं, बन बन डोलति नवल-किसोरी ‘सूरदास’ प्रभु रसिक सिरोमनि, देखत निगम-बानि भई भोरी

Jugal Chavi Harati Hiye Ki Pir

युगल छवि जुगल छवि हरति हिये की पीर कीर्ति-कुँअरि ब्रजराम-कुँअर बर ठाढ़े जमुना-तीर कल्पवृच्छ की छाँह सुशीतल, मंद-सुगंध समीर मुरली अधर, कमल कर कोमल, पीत-नील-द्युति चीर मुक्ता-मनिमाला, पन्ना गल, सुमन मनोहर हार भूषन विविध रत्न राजत तन, बेंदी-तिलक उदार श्रवननि सुचि कुण्डल झुर झूमक, झलकत ज्योति अपार मुसुकनि मधुर अमिय दृग-चितवनि, बरसत सुधा सिंगार

Prabhu Ki Kaisi Sundar Riti

करुणामय प्रभु प्रभु की कैसी सुन्दर रीति विरुद निभाने के कारण ही पापीजन से प्रीति गई मारने बालकृष्ण को, स्तन पे जहर लगाया उसी पूतना को शुभगति दी, श्लाघनीय फल पाया सुने दुर्वचन शिशुपाल के, द्वेषयुक्त जो मन था लीन किया उसको अपने में, अनुग्रह तभी किया था हरि चरणों में मूर्ख व्याध ने, भूल […]

Aarti Lakshmi Narayan Ki

लक्ष्मीनारायण आरती आरती लक्ष्मीनारायण की स्वर्णिम पीताम्बर हरि धारे, उज्जवल वसन प्रिया चित चोरे माँ कमला कर धारे अम्बुज, कमल-नयन श्री विष्णु चतुर्भुज अनुपम कांति प्रिया पे राजै, श्रीपति क्षीर-समुद्र विराजै शंख चक्र अरु गदा पद्म कर, अनुपमेय शोभित हैं श्रीधर श्री पीठा-स्थित माता मोहे, शेष शयन गरुड़ासन सोहे मंजुल मूरति उज्जवल रूपा, सीता रूक्मिणि […]

Va Patpit Ki Fahrani

प्रतिज्ञा पालन वा पटपीत की फहरानि कर धरि चक्र चरन की धावनि, नहिं बिसरति वह बानि रथ तें उतरि अवनि आतुर ह्वै, कच रज की लपटानि मानौं सिंह सैल ते निकस्यौ, महामत्त गज जानि जिन गुपाल मेरो प्रन राख्यौ, मेटि वेद की कानि सोई ‘सूर’ सहाय हमारे, निकट भये हैं आनि

Darshan Ki Pyasi Mohan

दर्शन की प्यास दर्शन की प्यासी मोहन! आई शरण तुम्हारी रस प्रेम का लगा के, हमको है क्यों बिसारी सूरत तेरी कन्हाई, नयनों में है समाई हमसे सहा न जाये, तेरा वियोग भारी घर बार मोह माया, सब त्याग हमहैं आर्इं चन्दा सा मुख दिखा दो, विनती है यह हमारी बंसी की धुन सुनादो, फिर […]

Prabhu Ki Satta Hai Kahan Nahi

सर्व शक्तिमान् प्रभु की सत्ता है कहाँ नहीं घट घट वासी, जड़ चेतन में, वे सर्व रूप हैं सत्य सही प्रतिक्षण संसार बदलता है, फिर भी उसमें जो रम जाये जो नित्य प्राप्त परमात्म तत्व, उसका अनुभव नहीं हो पाये स्थित तो प्रभु हैं कहाँ नहीं, पर आवृत बुद्धि हमारी है मन, बुद्धि, इन्द्रियों से […]

Raghu Nandan Ki Aarti Kije

राम आरती रघुनन्दन की आरती कीजै, दिव्य स्वरूप बसा मन लीजै पीताम्बर अद्वितीय कलेवर, संग जानकी माता सोहे धनुष बाण धारे जगदीश्वर, भरत, लखन, रिपुसूदन मोहे वैदेही लक्ष्मण है सँग में, राघवेन्द्र वनवास पधारे ॠषि, मुनि, शबरी दर्शन पाये, खरदूषण राक्षस संहारे साधुवेष धर रावण पहुँचा, वैदेही को तभी चुराया रावणादि को मार युद्ध में, […]

Sundar Shyam Piya Ki Jori

राधा-कृष्ण माधुरी सुन्दर स्याम पिया की जोरी रोम रोम सुंदरता निरखत, आनँद उमँग बह्योरी वे मधुकर ए कुंज कली, वे चतुर एहू नहिं भोरी प्रीति परस्पर करि दोउ सुख, बात जतन की जोरी वृंदावन वे, सिसु तमाल ए, कनक लता सी गोरी ‘सूर’ किसोर नवल नागर ए, नागरि नवल-किसोरी

Priti Ki Rit Na Jane Sakhi

प्रीति की रीति प्रीति की रीत न जाने सखी, वह नन्द को नन्दन साँवरिया वो गायें चराये यमुना तट, और मुरली मधुर बजावत है सखियों के संग में केलि करे, दधि लूटत री वह नटवरिया संग लेकर के वह ग्वाल बाल, मग रोकत है ब्रज नारिन को तन से चुनरी-पट को झटके, सिर से पटके […]