Durga Devi Daya Karahu

श्री दुर्गा स्तुति दुर्गा देवी दया करहु, दुख दुरित नसाओ शक्ति हीन संतान परी माँ! आय जगाओ भये भवानी भीत, आय भय भूत भगाओ खड्ग हाथ महँ देहु, युद्ध को पाठ पढ़ाओ कलि कराल कलुषित करहिँ, करि कल्यान कपर्दिनी मेटो ममता मोह कूँ, महिषासुर मद मर्दिनी

Karahu Prabhu Bhavsagar Se Par

नाम-महिमा करहुँ प्रभु भवसागर से पार कृपा करहु तो पार होत हौं, नहिं बूड़ति मँझधार गहिरो अगम अथाह थाह नहिं, लीजै नाथ उबार हौं अति अधम अनेक जन्म की, तुम प्रभु अधम उधार ‘रूपकुँवरि’ बिन नाम श्याम के, नहिं जग में निस्तार 

Karahu Man Nandnandan Ko Dhyan

प्रबोधन करहुँ मन, नँदनंदन को ध्यान येहि अवसर तोहिं फिर न मिलैगो, मेरो कह्यो अब मान अन्तकाल की राह देख मत, तब न रहेगो भान घूँघरवाली अलकैं मुख पर, कुण्डल झलकत कान मोर-मुकुट अलसाने नैना, झूमत रूप निधान दिव्य स्वरुप हृदय में धरले करहुँ नित्य प्रभु गान