Hindole Jhulahi Naval Kishor

झूलना हिंडोले झूलहिं नवल-किसोर कहा कहों यह सुषमा सजनी! वारिय काम करोर वरन-वरन के वसन सखिन के, पवन चलत झकझोर सावन के मनभावन बादर, गड़गड़ाहिं घनघोर गावहिं सावन गीत मनोहर, भये जुगल रस भोर या रस के वश भये चराचर, जाको ओर न छोर

Chapal Man Sumiro Avadh Kishor

राम स्मरण चपल मन सुमिरो अवध किशोर चन्द्रवदन राजीव नयन प्रभु, करत कृपा की कोर मेघ श्याम तन, पीत वसन या छबि की ओर ने छोर शीश मुकुट कानों में कुण्डल, चितवनि भी चितचोर धनुष बाण धारे प्रभु कर में, हरत भक्त भय घोर चरण-कमल के आश्रित मैं प्रभु, दूजो कोई न मोर

Chalo Ri Mile Natwar Nand Kishor

श्री राधा कृष्ण चलोरी, मिले नटवर नंदकिशोर श्रीराधा के सँग विहरत है सघन कुंज चितचोर तैसिय छटा घुमड़ि चहुँ दिसि तें, गरजत है घनघोर बिजुरी चमक रही अंबर में, पवन चलत अति जोर पीत-वसन में श्याम, राधिका नील-वसन तन गोर सदा विहार करो ‘परमानँद’, बसो युगल मन मोर

Jin Ke Sarvas Jugal Kishor

युगल श्री राधाकृष्ण जिनके सर्वस जुगलकिशोर तिहिं समान अस को बड़भागी, गनि सब के सिरमौर नित्य विहार निरंतर जाको, करत पान निसि भोर ‘श्री हरिप्रिया’ निहारत छिन-छिन, चितय नयन की कोर 

Jhule Yugal Kishor

झूला झूले युगल किशोर अति आनन्द भरे रस गावत, लेत प्रिया चित चोर कंचन मणि के खम्भ बनाये, श्याम घटा घन घोर पीत वसन दामिनी छवि लज्जित, बोलन लागे मोर रत्न जटित पटली पर बैठे, नागर नन्द किशोर