Aab Tum Meri Aur Niharo

शरणागति
अब तुम मेरी ओर निहारो
हमरे अवगुन पै नहि जाओ, अपनो बिरुद सम्भारो
जुग जुग साख तुम्हारी ऐसी, वेद पुरानन गाई
पतित उधारन नाम तिहारो, यह सुन दृढ़ता आई
मैं अजान तुम सम कुछ जानों, घट घट अंतरजामी
मैं तो चरन तुम्हारे लागी, शरणागत के स्वामी
हाथ जोरि के अरज करति हौं, अपनालो गहि बाहीं
द्वार तुम्हारे आन पड़ी हौं, पौरुष मोमें नाहीं

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