शिव विवाह (राजस्थानी)
दूल्हा बणआया त्रिपुरारी
पारबती की सखियाँ प्यारी, गावे हिलि मिलि गारी
भसम रमाय बाघंबर पहर्यो, गल मुण्डमाला धारी
हाथ त्रिशूल बजावत डमरू, नंदी की असवारी
भूत पिशाच बराती बणग्या, नाचै दै दै तारी
सरप करे फुंकार कण्ठ में, डरप रह्या नर नारी
सीस जटा बिच गंगा विहरे, भाल चाँद छबि न्यारी
निरखत ही सब पाप नसाये, महिमा अपरमपारी

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