Braj Main Ghar Ghar Bajat Badhai
श्री राधा प्राकट्य ब्रिज में घर घर बजत बधाई अतिशय रूप निरख कन्या का माँ कीरति है हर्षाई सकल लोक की सुंदरता, वृषभानु गोप के आई जाको जस सुर मुनी सब कोई, भुवन चतुर्दश गाई नवल-किशोरी गुन निधि श्यामा, कमला भी ललचाई प्रगटे पुरुषोत्तम श्री राधा द्वै विधि रूप बनाई
Braj Ko Bacha Lo Mohan
गोवर्धन लीला ब्रज को बचा लो मोहन, रक्षा करो हमारी हो कु्रद्ध शची के पति ने, वर्षा करी है भारी आँधी भी चल रही है, ओले बरस रहे हैं पानी से भर गया ब्रज, सब कष्ट से घिरे हैं गिरिराज को उखाड़ा, ले हाथ पर हरि ने उसको उठाये रक्खा, दिन सात तक उन्होंने ब्रज […]
Braj Ke Birahi Log Bichare
वियोग ब्रज के बिरही लोग बिचारे बिन गोपाल ठगे से ठाढ़े, अति दुरबल तनु हारे मात जसोदा पंथ निहारति, निरखति साँझ सकारे सबही कान्ह कान्ह कहि बोलत, अँखियन बहत पनारे यह मथुरा काजर की रेखा, जे निकसे ते कारे ‘परमानंद’ स्वामी बिन ऐसे, ज्यों चंदा बिनु तारे
Baithe Hari Radha Sang
मुरली मोहिनी बैठे हरि राधासंग, कुंजभवन अपने रंग मुरली ले अधर धरी, सारंग मुख गाई मनमोहन अति सुजान, परम चतुर गुन-निधान जान बूझ एक तान, चूक के बजाई प्यारी जब गह्यो बीन, सकल कला गुन प्रवीन अति नवीन रूप सहित, तान वही सुनाई ‘वल्लभ’ गिरिधरनलाल, रीझ कियो अंकमाल कहन लगे नन्दलाल, सुन्दर सुखदाई
Budhapa Bairi Tu Kyon Kare Takor
वृद्धा अवस्था बुढ़ापा बैरी, तूँ क्यों करे टकोर यौवन में जो साथ रहे, वे स्नेही बने कठोर जीर्ण हो गया अब तन सारा, रोग व दर्द सताते गई शक्ति बोलो कुछ भी तो, ध्यान कोई ना देते चेत चेत रे मनवा अब तो, छोड़ सभी भोगों को राम-कृष्ण का भजन किये बिन, ठोर नहीं हैं […]
Biraj Main Holi Ki Hai Dhum
होली बिरज में होली की है धूम लेकर हाथ कनक पिचकारी, यहाँ खड़ें हैं कृष्ण मुरारी, उतते आई गोपकुमारी, पकड़ लियो झट से बनवारी मुख पर मल दी तभी गुलाल, बिरज में होली है अब आई वृजभानु-दुलारी, और साथ में सखियाँ न्यारी, घेर लियो फिर नँद-नंदन को, पहना दी रेशम की सारी रंग दियो श्याम […]
Biraj Main Holi Khelat Nandlal
होली बिरज में होरी खेलत नँदलाल ढोलक झाँझ मँजीरा बाजत, सब सखियाँ मिल होरी गावत, नाचत दे दे ताल भर भरके पिचकारी मारत, भीजत है ब्रज के नर नारी, मुग्ध भई ब्रज-बाल धरती लाल, लाल भयो अम्बर, लाल राधिका, लालहि नटवर, उड़त अबीर गुलाल होरी खेलत है कुँवर कन्हाई, जमुना तट पर धूम मचाई, क्रीड़ा […]
Baso Man Mandir Shyama Shyam
युगल माधुरी बसो मन-मन्दिर, श्यामा-श्याम चपला नव-नीरद से अनुपम, युगल वर्ण अभिराम मुकुलित नयन प्रफुल्लित मुखड़ा, अलकावली ललाम नील वसन, पीताम्बर सोहे, रसिक राधिका श्याम लीला रत सँग ब्रज सुन्दरियाँ, श्री वृन्दावन धाम युगल-रूप सौन्दर्य लजाये, कोटि कोटि रति काम निगमागम के सारभूत को, भज मन आठो याम
Badi Maa Kaise Jiun Bin Ram
भरत का प्रेम बड़ी माँ! जीऊँ कैसे बिन राम सिया, राम, लछमन तो वन में, पिता गये सुरधाम कुटिल बुद्धि माँ कैकेयी की, बसिये न ऐसे ग्राम भोर भये हम भी वन जैहें, अवध नहीं कछु काम अद्भुत प्रेम भरत का, प्रस्थित गये मिलन को राम
Badhai Se Nahi Phulo Man Main
प्रशंसा बड़ाई से नहिं फूलों मन में ध्यान न रहता जो भी खामियाँ, रहती हैं अपने में काम प्रशंसा का जब होए, समझो कृपा प्रभु की याद रहे कि प्रशंसा तो बस, मीठी घूँट जहर की नहीं लगाओ गले बड़ाई, दूर सदा ही भागो होगी श्लाघा बड़े बनोगे, सपने से तुम जागो