Trashna Hi Dukh Ka Karan Hai
तृष्णा तृष्णा ही दुःख का कारण है इच्छाओं का परित्याग करे, संतोष भाव आ जाता है धन इतना ही आवश्यक है जिससे कुटंब का पालन हो यदि साधु सन्त अतिथि आये, उनका भी स्वागत सेवा हो जो सुलभ हमें सुख स्वास्थ्य कीर्ति, प्रारब्ध भोग इसको कहते जो झूठ कपट से धन जोड़ा, फलस्वरूप अन्ततः दुख […]
Tu So Raha Ab Tak Musafir
चेतावनी तूँ सो रहा अब तक मुसाफिर, जागता है क्यों नहीं था व्यस्त कारोबार में,अब भोग में खोया कहीं मोहवश जैसे पतिंगा, दीपक की लौ में जल मरे मतिमान तूँ घर बार में फिर, प्रीति इतनी क्यों करे लालच में पड़ता कीर ज्यों, पिंजरे में उसका हाल ज्यों फिर भी उलझता जा रहा, संसार माया […]
Tu Ga Le Prabhu Ke Geet
हरि भजन तूँ गा ले प्रभु के गीत दुनिया एक मुसाफिर खाना, जाना एक दिन छोड़ के मात-पिता बंधु सुत पत्नी, सब से नाता तोड़ के एक दिन ये सुन्दर घर तेरा मिट्टी में मिल जाएगा तुझे अचानक ले जाने को, काल एक दिन आएगा अब तो होश सँभालो प्यारे, व्यर्थ ही समय गँवाओ ना […]
Tulsi Maharani Ko Pranam
तुलसी महिमा तुलसी महारानी को प्रणाम पटरानी ये ही श्री हरि की, जो अद्वितीय लोकाभिराम शालीग्राम के शीश चढ़े वे, हरि अर्चन इनसे ही हो सुख शांति स्वास्थ्य भी दे हमको, जब श्रद्धा से जल सिंचन हो जो भोग लगे नारायण को, तुलसी के बिना नहीं स्वीकारे महिमा अपार तुलसीजी की, माँ भक्ति दान दो, […]
Tu Apne Ko Pahchan Re
जीवात्मा तूँ अपने को पहचान रे ईश्वर अंश जीव अविनाशी, तूँ चेतन को जान रे घट घट में चेतन का वासा, उसका तुझे न भान रे परम् ब्रह्म का यह स्वरूप है, जो यथार्थ में ज्ञान रे रक्त मांस से बनी देह यह, जल जाती श्मशान रे वे विश्व वद्य वे जग-निवास, कर मन में […]
Tulsi Mira Sur Kabir
भक्त कवि तुलसी मीरा सूर कबीर कण्ठहार जन जन के चारों, हर लेते तन मन की पीर रामचरित के तुलसी गायक, कृष्ण भक्ति में सूर अधीर मीराबाई कृष्ण विरहिणी, कबीर देते ज्ञान गँभीर भक्ति, ज्ञान अरु कर्म समन्वय तुलसी की रामायण में बालकृष्ण की लीलाओं का भाव सूर के गीतों में गिरिधारी के दर्शन पाने […]
Tulsi Mira Sur Kabir
भक्त कवि तुलसी मीरा सूर कबीर, एक तूणीर में चारों तीर इन तीरों की चोट लगे तब रक्त नहीं, बहे प्रेम की नीर एक तूणीर में चारो तीर, तुलसी मीरा सूर कबीर तुलसीदास हैं राम पुजारी, मीरा के प्रभु गिरधारी सूरदास सूरज सम चमके, सहज दयालु संत कबीर एक तूणीर में चारो तीर, तुलसी मीरा […]
Tumi Bandhu Tumi Nath
शरणागति तुमि बंधु, तुमि नाथ, निशिदिन तुमि आमार तुमि सुख, तुमि शान्ति, तुमि हे अमृत पाथार तुमिइ तो आनन्दलोक, जुड़ाओ प्राण नाशो शोक ताप हरण तोमार चरण, असीम शरण दीन जनार
Tum Bin Pyare Kahun Sukh Nahi
स्वार्थी संसार तुम बिन प्यारे कहुँ सुख नाहीं भटक्यो बहुत स्वाद-रस लम्पट, ठौर ठौर जग माहीं जित देखौं तित स्वारथ ही की निरस पुरानी बातें अतिहि मलिन व्यवहार देखिकै, घृणा आत है तातें जानत भले तुम्हारे बिनु सब, व्यर्थ ही बीतत सांसे ‘हरिचन्द्र’ नहीं टूटत है ये, कठिन मोह की फाँसे
Tum Prem Ke Ho Ghanshyam
प्रेमवश प्रभु तुम प्रेम के हो घनश्याम गोपीजन के ऋणी बने तुम, राधा वल्लभ श्याम शबरी के जूँठे फल खाये, सीतापति श्रीराम लंका राज विभीषण पायो, राम भक्ति परिणाम बंधन मुक्त करे निज जन को, जसुमति बाँधे दाम गाढ़ी प्रीत करी ग्वालन संग, यद्यपि पूरम-काम व्यंजन त्याग साग को भोजन, कियो विदुर के ठाम राजसूय […]