Shankaracharya Ne Janma Liya

भगवत्पाद आद्य शंकराचार्य शंकराचार्य ने जन्म लिया प्रायः सधर्म तब लुप्त ही था ‘शंकरः शंकरः साक्षात्’ उक्ति, अवतार आशुतोष शिव का था भारत में वैदिक धर्म कर्म, स्थापित शंकर के द्वारा अद्वैत, द्वैत मत जो भी हैं, अधिकार भेद सचमुच सारा तो मार्ग समन्वय खोल दिया, जो था विरोध समाप्त किया वर्णाश्रम धर्म संरक्षित हो, […]

Vrat Snan Pratishtha Pujanadi

शालिग्राम महात्म्य व्रत स्नान प्रतिष्ठा पूजनादि, जो कर्म करें हम श्रद्धा से जहाँ शालिग्राम की सन्निद्धि हो, तो पुण्य अपार मिले इससे जल शालिग्राम शिला का हो, उसका जो पान करे नित ही वर पाता है वह मनवांछित, इसमें तो संशय तनिक नहीं मृत्यु के समय जलपान करे, पापों से मुक्त वह हो जाता जो […]

Vaishnav Jan To Tene Kahiye

वैष्णव जन (गुजराती) वैष्णव जन तो तेणे कहिए, जे पीर पराई जाणे रे परदुःखे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे सकल लोक मा सहुने वंदे, निंदा करे न केणी रे वाच काज मन निश्चल राखे, धन धन जननी तेणी रे समदृष्टि ने, तृष्णा त्यागी, पर-स्त्री जेणे मात रे जिह्वा थकी असत्य न बोले, […]

Vedon Ki Mata Gayatri

वेदमाता गायत्री वेदों की माता गायत्री, सद्बुद्धि हमें कर दो प्रदान महात्म्य अतुल महादेवी का, शास्त्र पुराण करते बखान वरदायिनि देवी का विग्रह, ज्योतिर्मय रवि-रश्मि समान ब्रह्मस्वरूपिणि, सर्वपूज्य, परमेश्वरी की महिमा महान जो विद्यमान रवि-मण्डल में, उन आदि शक्ति को नमस्कार अभिलाषा पूर्ण करें, जप लो, गायत्री-मंत्र महिमा अपार  

Vrandavan Se Uddhav Aaye

उद्धव की वापसी वृंदावन से उद्धव आये श्यामसुँदर को गोपीजन के मन की व्यथा सुनाये कहा एक दिन ‘राधारानी बोलीं श्याम सुजान बिना दरस मनमोहन के, ये निकले क्यों नहिं प्रान’ इसी भाँति बिलखत दिन जाये, निशा नींद नहिं आये जाग रही सपना भी दुर्लभ, दर्शन-प्यास सताये दुख असह्य गोपीजन को भी, करुणा कुछ मन […]

Vrandavan Saghan Kunj

युगल विहार वृन्दावन सघन कुंज माधुरी द्रुम भँवर गुंज नित विहार प्रिया प्रीतम, देखिबौई कीजै गौर श्याम युगल वर्ण, सुन्दर अति चित्त चोर निरखि निरखि रूप सुधा, नैनन भर पीजै सखियन संग करत गान, सारँग सुर लेत तान मंद मंद मधुर मधुर, सुनि सुनि सुख लीजै  

Vrandavan Ki Mahima Apaar

वृन्दावन महिमा वृन्दावन की महिमा अपार, ऋषि मुनि देव सब गाते हैं यहाँ फल फूलों से लदे वृक्ष, है विपुल वनस्पति और घास यह गोप गोपियों गौओं का प्यारा नैसर्गिक सुख निवास अपने मुख से श्रीकृष्ण यहाँ, बंशी में भरते मीठा स्वर तो देव देवियाँ नर नारी, आलाप सुनें तन्मय होकर सब गोपीजन को संग […]

Vivek Prapt Hai Manav Ko

विवेक विवेक प्राप्त है मानव को क्या तो अनुचित अथवा कि उचित, यह समझ नहीं पशु पक्षी को जो सदुपयोग करले इसका, उसका तो जीवन सफल हुआ वरना तो पशु से भी निकृष्ट, मानव का जीवन विफल हुआ हम अपने और दूसरों का, कर पायें भला विवेक यही तब तत्वज्ञान में हो परिणित, सर्वज्ञ प्रभु […]

Vipada Mangu Main Giridhari

विपदा की चाह विपदा माँगू मैं गिरिधारी कुन्ती देवी कहे आपने, कई आपदा टारी शत-शत करूँ प्रणाम अकिंचन, हूँ अबोध मैं नारी लाक्षा-गृह अग्नि, हिडिम्ब से रक्षा की असुरारी दुर्वासा भोजन को आये तब भी विपद् निवारी तृप्त किया उनको विश्वम्भर, बची द्रोपदी प्यारी दुष्ट दुशासन ने खीचीं थी, पुत्र-वधू की सारी लियो वस्त्र अवतार, […]

Vipatti Ko Samjhen Ham Vardaan

विपदा का लाभ विपत्ति को समझें हम वरदान सुख में याद न आये प्रभु की, करें नहीं हम गान कुन्ती ने माँगा था प्रभु से, विपदायें ही आयें कष्ट दूर करने प्रभु आये, दर्शन तब हो जायें हुआ वियोग श्याम से जिनका, गोपियन अश्रु बहाये स्मरण करे प्रतिपल वे उनको, दिवस रात कट जाये अनुकुल […]