शालिग्राम महात्म्य
व्रत स्नान प्रतिष्ठा पूजनादि, जो कर्म करें हम श्रद्धा से
जहाँ शालिग्राम की सन्निद्धि हो, तो पुण्य अपार मिले इससे
जल शालिग्राम शिला का हो, उसका जो पान करे नित ही
वर पाता है वह मनवांछित, इसमें तो संशय तनिक नहीं
मृत्यु के समय जलपान करे, पापों से मुक्त वह हो जाता
जो तुलसी, शालिग्राम, शंख, सब साथ रखे प्रभु-प्रिय होता  

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