मुरली का जादू
मुरलिया! मत बाजै अब और
हर्यौ सील-कुल-मान करी बदनाम मोय सब ठौर
रह्यो न मोपै जाय सुनूँ जब तेरी मधुरी तान
उमगै हियौ, नैन झरि लागै, भाजन चाहैं प्रान
कुटिल कान्ह धरि तोय अधर पर, राधा राधा टेरे
रहै न मेरौ मन तब बस में, गिनै न साँझ सवेरे
Category: Bramhanand
Nam Liya Prabhu Ka Jisane
सदुपदेश
नाम लिया प्रभु का जिसने चाहे साधन और किया न किया
जड़ चेतन जग में भी जितने, घट में सम इनको जान सदा
परमारथ का नित कार्य किया, चाहे दान किसी को दिया न दिया
जिसके घर में हरि चर्चा हो, दिन रात छोड़ दुनियादारी
सत्संग कथामृत पान किया, चाहे तीर्थ का नीर पिया न पिया
गुरु के उपदेश व सत्सँग को, श्रद्धापूर्वक जो ग्रहण करे
‘ब्रह्मानंद’ स्वरूप को जान लिया, चाहे साधन योग किया न किया
Radha Ju Mo Pe Aaj Dharo
श्री राधाजी की कृपा
राधाजू! मो पै आजु ढरौ
निज, निज प्रीतम की पद-रज-रति, मोय प्रदान करौ
विषम विषय रस की सब आशा, ममता तुरत हरौ
भुक्ति मुक्ति की सकल कामना, सत्वर नास करौ
निज चाकर चाकर की सेवा मोहि प्रदान करौ
राखौ सदा निकुंज निभृत में, झाड़ूदार बरौ
Pahchan Le Prabhu Ko
हरि स्मरण
पहचान ले प्रभु को, घट-घट में वास जिनका
तू याद कर ले उनको, कण कण में भी वही है
जिसने तुझे बनाया, संसार है दिखाया
चौदह भुवन में सत्ता, उनकी समा रही है
विषयों की छोड़ आशा, सब व्यर्थ का तमाशा
दिन चार का दिलासा, माया फँसा रही है
दुनियाँ से दिल हटा ले, ईश्वर का ध्यान कर ले
‘ब्रह्मानंद’ देह नश्वर, कल का पता नहीं है
Radha Ghar Kanan Main Radha
जीवन सर्वस्व राधा
राधा घर, कानन में राधा, राधा नित यमुना के तीर
राधा मोद, प्रमोद राधिका, राधा बहै नयन बन नीर
राधा प्राण बुद्धि सब राधा, राधा नयनों की तारा
राधा ही तन मन में छाई, प्रेमानंद सुधा धारा
राधा भजन, ध्यान राधा ही, जप तप यज्ञ सभी राधा
राधा सदा स्वामिनी मेरी, परमाराध्या श्रीराधा
Prabhu Tera Paar Na Paya
शरणागत
प्रभु तेरा पार न पाया
तूँ सर्वज्ञ चराचर सब में, तू चैतन्य समाया
प्राणी-मात्र के तन में किस विधि, तू ही तो है छाया
जीव कहाँ से आये जाये, कोई समझ न पाया
सूर्य चन्द्रमा तारे सब में, ज्योति रूप चमकाया
यह सृष्टि कैसी विचित्र है, उसमें मैं भरमाया
‘ब्रह्मानंद’ शरण में तेरी, छोड़ कुटुंबी आया
Vando Shri Radha Charan
युगल स्वरूप झाँकी
वन्दौं श्री राधाचरन, पावन परम उदार
भय विषाद अज्ञानहर, प्रेम भक्ति दातार
रास-बिहारिनि राधिका, रासेश्वर नँद-लाल
ठाढ़े सुंदरतम परम, मंडल रास रसाल
मधुर अधर मुरली धरे, ठाढ़े स्याम त्रिभंग
राधा उर उमग्यौ सु-रस रोमांचित अँग-अंग
विश्वविमोहिनी श्याम की, मनमोहिनि रसधाम
श्याम चित्त उन्मादिनी, राधा नित्य ललाम
परम प्रेम-आनंदमय, दिव्य जुगल रस-रूप
कालिंदी-तट कदँब-तल, सुषमा अमित अनूप
सुधा-मधुर-सौंदर्य निधि, छलकि रहे अँग-अँग
उठत ललित पलपल विपुल, नव नव रूप तरंग
स्याम स्वामिनी राधिके! करौ कृपा को दान
सुनत रहैं मुरली मधुर, मधुमय बानी कान
करौ कृपा श्री राधिका! बिनवौं बारम्बार
बनी रहे स्मृति मधुर, मंगलमय सुखसार
Priti Ki Rit Na Jane Sakhi
प्रीति की रीति
प्रीति की रीत न जाने सखी, वह नन्द को नन्दन साँवरिया
वो गायें चराये यमुना तट, और मुरली मधुर बजावत है
सखियों के संग में केलि करे, दधि लूटत री वह नटवरिया
संग लेकर के वह ग्वाल बाल, मग रोकत है ब्रज नारिन को
तन से चुनरी-पट को झटके, सिर से पटके जल गागरिया
वृन्दावन की वह कुंजन में, गोपिन के संग में रास रचे
पग नुपूर की धुन बाज रही, नित नाचत है मन-मोहनिया
जो भक्तों के सर्वस्व श्याम, ब्रज में वे ही तो विहार करें
‘ब्रह्मानंद’ न कोई जान सके, वह तीनों लोक नचावनिया
Shyam Ne Kaha Thagori Dari
श्याम की ठगौरी
स्याम ने कहा ठगोरी डारी
बिसरे धरम-करम, कुल-परिजन, लोक साज गई सारी
गई हुती मैं जमुना तट पर, जल भरिबे लै मटकी
देखत स्याम कमल-दल-लोचन, दृष्टि तुरत ही अटकी
मो तन मुरि मुसुकाए मनसिज, मोहन नंद-किसोर
तेहि छिन चोरि लियौ मन सरबस, परम चतुर चित-चोर
Brajraj Aaj Pyare Meri Gali Me Aana
श्याम का सौन्दर्य
ब्रजराज आज प्यारे मेरी गली में आना
तेरी छबि मनोहर मुझको झलक दिखाना
सिर मोर मुकुट राजे, बनमाल उर बिराजे
नूपुर चरण में बाजे, कर में कड़ा सुहाना
कुंडल श्रवण में सोहे, बंसी अधर धरी हो
तन पीत वसन शोभे, कटि मेखला सजाना
विनती यही है प्यारे, सुन नंद के दुलारे
‘ब्रह्मानंद’ आके तुमको, मन की तपन बुझाना