Sakhi Sapane Mohan Aaye

ब्रज की स्मृति सखि, सपने में मनमोहन आये बड़े दुखी है मथुरा में वे, कोई तो समझाये टप टप आँसू गिरें नयन से, घूम रहे उपवन में नहीं सँभाल पाते अपने को, व्याकुलता है मन में कहते प्राणेश्वरी राधिके, निश दिन रहूँ उदास लोग भले ही कहें यहाँ सुख, झूठ-मूठ विश्वास तेरे बिना एक पल […]

Prabhuji Main Picho Kiyo Tumharo

चरणाश्रय प्रभुजी मैं पीछौ कियौ तुम्हारौ तुम तो दीनदयाल कहावत, सकल आपदा टारौ महा कुबुद्धि, कुटिल, अपराधी, औगुन भर लिये भारौ ‘सूर’ क्रूर की यही बीनती, ले चरननि में डारौ

Din Yu Hi Bite Jate Hain Sumiran Kar Le Tu Ram Nam

नाम स्मरण दिन यूँ ही बीते जाते हैं, सुमिरन करले तूँ राम नाम लख चौरासी योनी भटका, तब मानुष के तन को पाया जिन स्वारथ में जीवन खोया, वे अंत समय पछताते हैं अपना जिसको तूँने समझा, वह झूठे जग की है माया क्यों हरि का नाम बीसार दिया, सब जीते जी के नाते हैं […]

Sajanwa Nainan Mere Tumhari Aur

हरि दर्शन सजनवा नैनन मेरे तुमरी ओर विरह कमण्डल हाथ लिये हैं, वैरागी दो नैन दरस लालसा लाभ मिले तो, छके रहे दिन रैन विरह भुजंगम डस गया तन को, मन्तर माने न सीख फिर-फिर माँगत ‘कबीर’ है, तुम दरशन की भीख

Pahchan Le Prabhu Ko

हरि स्मरण पहचान ले प्रभु को, घट-घट में वास जिनका तू याद कर ले उनको, कण कण में भी वही है जिसने तुझे बनाया, संसार है दिखाया चौदह भुवन में सत्ता, उनकी समा रही है विषयों की छोड़ आशा, सब व्यर्थ का तमाशा दिन चार का दिलासा, माया फँसा रही है दुनियाँ से दिल हटा […]

Anand Kand Shri Krishna Chandra

श्रीकृष्ण सौन्दर्य आनन्दकन्द श्री कृष्णचन्द्र, सिर मोर-मुकुट की छवि न्यारी मुसकान मधुर चंचल चितवन, वह रूप विलक्षण मनहारी कटि में स्वर्णिम पीताम्बर है, शोभा अपूर्व अति सुखकारी जो कामकला के सागर हैं, नटनागर यमुना-तट चारी वंशी की मधुर ध्वनि करते, संग में श्री राधा सुकुमारी गोवर्धन धारण की लीला, वर्णनातीत अति प्रियकारी कालियानाग के मस्तक […]

Kahe Re Van Dhoondhan Jaai

अन्तर्यामी काहे रे वन ढूँढन जाई घट घट वासी सदा अलेपा, तोही संग समाई पुष्प मध्य ज्यों गंध बसत है, मुकुर माँहि जस छार्इं तैसे ही हरि बसे निरन्तर, घट घट खोजौ भाई बाहर भीतर एकौ जानौ, ‘नानक’ ज्ञान बताई 

Jagat Main Jivan Kuch Din Ka

नश्वर जीवन जगत् में जीवन कुछ दिन का देह मिली मानव की प्रभु से कर न गर्व इसका सदुपयोग तूँ कर विवेक का, मत कर तूँ मन का काल बली माथे पर नाचे, पता नहीं छिन का राम नाम के दो अक्षर में, सब सुख शांति समाई राम नाम भजले मनवा तूँ, भवसागर तर जाई […]

Jo Pran Tyage Dharma Hit

प्राणोत्सर्ग जो प्राण त्यागे धर्म हित, वह सद्गति को प्राप्त हो सम्राट नामी थे दिलीप, गौ-नन्दिनी भयग्रस्त थी दबोच रक्खा था उसे बली सिंह ने, संकट में थी तब गौ की रक्षा हेतु से, महाराज बोले सिंह को अपनी क्षुधा को शान्त कर, खा ले तूँ मेरी देह को गौ कामधेनु की सुता थी, जिसको […]

Devopasna Shubhkari

देवोपासना देवोपासना शुभकारी संहिता वेद सब शास्त्र कहे, आराधन सब विधि हितकारी श्रीराम-कृष्ण व महादेव, दुर्गा भैया भी संग में हो भगवान सूर्य, श्रीगणपतिजी, ये पाँच देव पूजा में हों षोडोपचार, पंचोपचार, जैसा भी मन में हो विचार इन देवों की जो पूजा हो, श्रृद्धा की मन हो बहार कर्मों का बन्धन कट जाता, प्रभु […]