Itna To Karna Swami Jab Pran Tan Se Nikale

विनती इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से निकले श्री यमुनाजी का तट हो, स्थान वंशी-वट हो मेरा साँवरा निकट हो, जब प्राण तन से निकलें श्री वृन्दावन का थल हो, मेरे मुख में तुलसी दल हो विष्णु-चरण का जल हो, जब प्राण तन से निकलें […]

Kyon Dhanya Grihasthashram Kahlata

धन्य गृहस्थाश्रम क्यों धन्य गृहस्थाश्रम कहलाता मानव जीवन के तीन लक्ष्य, धन, काम, धर्म वह पाता सौमनस्य हो पति-पत्नी में, स्वर्ग बनाये घर को परोपकार, परहित सेवा, कर्तव्य मिलादे हरि को प्रभु का मंदिर समझे गृह को, भाव शुद्धता मन में हरि-कीर्तन प्रातः सन्ध्या हो, व सदाचार जीवन में पूजन एवं कृष्ण-कथा हो, साधु, सन्त […]

Ja Ko Manvranda Vipin Haryo

वंदनावन-महिमा जाको मन वृन्दा विपिन हर्यो निरिख निकुंज पुंज-छवि राधे, कृष्ण नाम उर धर्यो स्यामा स्याम स्वरूप सरोवर, परी जगत् बिसर्यो कोटि कोटि रति काम लजावै, गोपियन चित्त हर्यो ‘श्रीभट’ राधे रसिकराय तिन्ह, सर्वस दै निबर्यो  

Tan Rakta Mans Ka Dhancha Hai

चेतावनी तन रक्त माँस का ढाँचा है, जो ढका हुआ है चमड़े से श्रृंगार करे क्या काया का, जो भरी हुई है दुर्गन्धों से खाये पीये कितना बढ़िया, मल-मूत्र वहीं जो बन जाता ऐसे शरीर की रक्षा में, दिन रात परिश्रम है करता मन में जो रही वासनाएँ, वे अन्त समय तक साथ रहें मृत्योपरांत […]

Narhari Chanchal Hai Mati Meri

भक्ति भाव नरहरि चंचल है मति मेरी, कैसी भगति करूँ मैं तेरी सब घट अंतर रमे निरंतर मैं देखन नहिं जाना गुण सब तोर, मोर सब अवगुण मैं एकहूँ नहीं माना तू मोहिं देखै, हौं तोहि देखूँ, प्रीति परस्पर होई तू मोहिं देखै, तोहि न देखूँ, यह मति सब बुधि खोई तेरा मेरा कछु न […]

Pulakit Malay Pawan Manthar Gati

वसंतोत्सव पुलकित मलय-पवन मंथर गति, ऋतु बसंत मन भाये मधुप-पुंज-गुंजित कल-कोकिल कूजित हर्ष बढ़ाये चंदन चर्चित श्याम कलेवर पीत वसन लहराये रंग बसंती साड़ी में, श्री राधा सरस सुहाये भाव-लीन अनुपम छबिशाली, रूप धरे नँद-नंदन घिरे हुवे गोपीजन से वे क्रीड़ा रत मन-रंजन गोप-वधू पंचम के ऊँचे स्वर में गीत सुनाती रसनिधि मुख-सरसिज को इकटक […]

Prabhu Shakti Pradan Karo Aisi

शरणागति प्रभु शक्ति प्रदान करो ऐसी, मन का विकार सब मिट जाये चाहे निंदा हो या तिरस्कार, मुझको कुछ नहीं सता पाये भोजन की चिन्ता नहीं मुझे, जब पक्षी जी भर खाते ही मुझको मानव का जन्म दिया, तो खाने को भी देंगे ही बतलाते हैं कुछ लोग मुझे, अन्यत्र कहीं सुख का मेला देखा […]

Bhagyanusar Fal Prapta Hame

भाग्यानुसार फल भाग्यानुसार फल प्राप्त हमें भगवान् नियामक कर्मों के, जैसा बोया हो मिले हमें विवेक प्रभु से प्राप्त हमें, हम चाहें जैसा वही करें ये अहंकार व काम क्रोध, जो पाप कर्म में प्रवृत करें प्रभु में तो विषमता जरा नहीं, हम कर्मों का ही फल पायें वे तो कर्मों को देख रहे, शुभ […]

Rasna Kyon Na Ram Ras Piti

राम रसपान रसना क्यों न राम रस पीती षट-रस भोजन पान करेगी, फिर रीती की रीती अजहूँ छोड़ कुबान आपनी, जो बीती सो बीती वा दिन की तू सुधि बिसराई, जा दिन बात कहीती जब यमराज द्वार आ अड़िहैं, खुलिहै तब करतूती ‘रूपकुँवरि’ मन मान सिखावन, भगवत् सन कर प्रीती 

Vaishnav Jan To Tene Kahiye

वैष्णव जन (गुजराती) वैष्णव जन तो तेणे कहिए, जे पीर पराई जाणे रे परदुःखे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे सकल लोक मा सहुने वंदे, निंदा करे न केणी रे वाच काज मन निश्चल राखे, धन धन जननी तेणी रे समदृष्टि ने, तृष्णा त्यागी, पर-स्त्री जेणे मात रे जिह्वा थकी असत्य न बोले, […]