Aarti Lakshmi Narayan Ki
लक्ष्मीनारायण आरती आरती लक्ष्मीनारायण की स्वर्णिम पीताम्बर हरि धारे, उज्जवल वसन प्रिया चित चोरे माँ कमला कर धारे अम्बुज, कमल-नयन श्री विष्णु चतुर्भुज अनुपम कांति प्रिया पे राजै, श्रीपति क्षीर-समुद्र विराजै शंख चक्र अरु गदा पद्म कर, अनुपमेय शोभित हैं श्रीधर श्री पीठा-स्थित माता मोहे, शेष शयन गरुड़ासन सोहे मंजुल मूरति उज्जवल रूपा, सीता रूक्मिणि […]
Aiso Ko Udar Jagmahi
राम की उदारता ऐसो को उदार जग माहीं बिनु सेवा जो द्रवै दीन पर, राम सरिस कोउ नाहीं जो गति जोग बिराग जतन करि, नहिं पावत मुनि ग्यानी सो गति देत गीध सबरी कहँ, प्रभु न बहुत जिय जानी जो संपत्ति दस सीस अरपि करि रावन सिव पहँ लीन्हीं सोई संपदा विभीषन कहँअति, सकुच सहित […]
Pawan Prem Ram Charan
रामनाम महिमा पावन प्रेम राम-चरन-कमल जनम लाहु परम राम-नाम लेत होत, सुलभ सकल धरम जोग, मख, विवेक, बिरति, वेद-विदित करम करिबे कहुँ कटु कठोर, सुनत मधुर नरम ‘तुलसी’ सुनि, जानि बूझि, भूलहि जनि भरम तेहि प्रभु को होहि, जाहि सबही की सरम
Sis Jata Ur Bahu Visal
राम से मोह सीस जटा उर बाहु विसाल, विलोचन लाल, तिरीछी सी भौहें बान सरासन कंध धरें, ‘तुलसी’ बन-मारग में सुठि सौहें सादर बारहिं बार सुभायँ चितै, तुम्ह त्यों हमरो मनु मोहैं पूछति ग्राम वधु सिय सौं, कहौ साँवरे से सखि रावरे कौ हैं
Prem Vastra Ke Bicha Panwde
शबरी का प्रेम प्रेम-वस्त्र के बिछा पाँवड़े, अर्घ्य नमन जल देकर निज कुटिया पर लाई प्रभु को, चरण कमल तब धोकर आसन प्रस्तुत कर राघव को, पूजा फिर की शबरी ने चख कर मीठे बेर प्रभु को, भेंट किये भिलनी ने स्वाद सराहा प्रभु ने फल का, प्रेम से भोग लगाया प्रेम-लक्षणा-भक्ति रूप, फल प्रभु […]
Omkara Krati Ganapati Ganesh
श्री गणेश वन्दन ओंकारा-कृति गणपति गणेश, श्रद्धा से हम प्रणिपात करें ये ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र रूप, श्रेयस्कर इनका वरण करें दो कर्ण सूप से, ह्वस्व नयन, तीनों गुण,तीनों काल परें यज्ञों के रक्षक, वक्रतुण्ड, सुर, नर, मुनि, योगी ध्यान धरें विद्या वारिधि प्रभु लम्बोदर, गूँगे को गिरा प्रदान करें गिरि पर चढ़ने को समुचित बल, […]
Ab To Sanjh Bit Rahi Shyam
होली अब तो साँझ बीत रही श्याम, छोड़ो बहियाँ मोरी तुम ठहरे ब्रजराज कुँवरजी, हम ग्वालिन अति भोरी आनंद मगन कहूँ मैं मोहन,अब तो जाऊँ पौरी लाज बचेगी मोरी सास, ननद के चुपके छाने, तुम संग खेली होरी अँगुली पकरत पहुँचो पकरयो और करी बरजोरी हम हैं ब्रज की छोरी मीठी-मीठी तान बजाकर, लेन सखिन […]
Kaha Pardesi Ko Patiyaro
वियोग कहापरदेसी कौ पतियारौ प्रीति बढ़ाई चले मधुबन कौ, बिछुरि दियौ दुख भारौ ज्यों जल-हीन मीन तरफत त्यौं, व्याकुल प्राण हमारौ ‘सूरदास’ प्रभु गति या ब्रज की, दीपक बिनु अँधियारौ
Chadi Man Hari Vimukhan Ko Sang
प्रबोधन छाड़ि मन, हरि-विमुखन को संग जिनके संग कुमति उपजत है, परत भजन में भंग कहा होत पय-पान कराए, विष नहिं तजत भुजंग कागहिं कहा कपूर चुगाए, स्वान न्हवाए गंग खर कौं कहा अरगजा-लेपन मरकट भूषन अंग गज कौं कहा सरित अन्हवाए, बधुरि धरै वह ढंग पाहन पतित बान नहिं बेधत, रीतो करत निषंग ‘सूरदास’ […]
Jo Sukh Braj Me Ek Ghari
ब्रज का सुख जो सुख ब्रज में एक घरी सो सुख तीनि लोक में नाहीं, धनि यह घोष पुरी अष्ट सिद्धि नव निधि कर जोरे, द्वारैं रहति खरी सिव-सनकादि-सुकादि-अगोचर, ते अवतरे हरी धन्य धन्य बड़ भागिनि जसुमति, निगमनि सही परी ऐसे ‘सूरदास’ के प्रभु को, लीन्हौ अंक भरी