Main Ik Nai Bat Sun Aai
श्री कृष्ण प्राकट्य मैं इक नई बात सुन आई महरि जसोदा ढोटा जायौ, घर घर होति बधाई द्वारैं भीर गोप-गोपिन की, महिमा बरनि न जाई अति आनन्द होत गोकुल में, रतन भूमि सब छाई नाचत वृद्ध, तरुन अरु बालक, गोरस कीच मचाई ‘सूरदास’ स्वामी सुख-सागर, सुन्दर स्याम कन्हाई
Mohan Jagi Ho Bali Gai
प्रभाती मोहन जागि, हौं बलि गई तेरे कारन श्याम सुन्दर, नई मुरली लई ग्वाल बाल सब द्वार ठाड़े, बेर बन की भई गय्यन के सब बन्ध छूटे, डगर बन कौं गई पीत पट कर दूर मुख तें, छाँड़ि दै अलसई अति अनन्दित होत जसुमति, देखि द्युति नित नई जगे जंगम जीव पशु खग, और ब्रज […]
Shri Krishna Chandra Mathura Ko Gaye
विरह व्यथा श्री कृष्णचन्द्र मथुरा को गये, गोकुल को आयबो छोड़ दियो तब से ब्रज की बालाओं ने, पनघट को जायबो छोड़ दियो सब लता पता भी सूख गये, कालिंदी किनारो छोड़ दियो वहाँ मेवा भोग लगावत हैं, माखन को खायबो छोड़ दियो ये बीन पखावज धरी रहैं, मुरली को बजायबो छोड़ दियो वहाँ कुब्जा […]
Shyam Liyo Giriraj Uthai
गिरिराज धरण स्याम लियो गिरिराज उठाई धीर धरो हरि कहत सबनि सौं, गिरि गोवर्धन करत सहाई नंद गोप ग्वालिनि के आगे, देव कह्यो यह प्रगट सुनाई काहै कौ व्याकुल भै डोलत, रच्छा करत देवता आई सत्य वचन गिरिदेव कहत हैं, कान्ह लेहिं मोहिं कर उचकाई ‘सूरदास’ नारी नर ब्रज के, कहत धन्य तुम कुँवर कन्हाई
Aao Manmohan Ji Jou Thari Baat
प्रतीक्षा आओ मनमोहनाजी, जोऊँ थारी बाट खान-पान मोहि नेक न भावै, नयनन लगे कपाट तुम देख्या बिन कल न पड़त है हिय में बहुत उचाट मीराँ कहे मैं भई रावरी, छाँड़ो नहीं निराट
Jogiya Chaai Rahyo Pardes
विरह व्यथा जोगिया, छाइ रह्यो परदेस जब का बिछड़्या फेर न मिलिया, बहुरि न दियो सँदेस या तन ऊपर भसम रमाऊँ, खार करूँ सिर केस भगवाँ भेष धरूँ तुम कारण, ढूँढत फिर फिर देस ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, जीवन व्यर्थ विशेष
Naina Nipat Shyam Chabi Atke
श्याम की मोहिनी नैना निपट श्याम छबि अटके देखत रूप मदनमोहन को, पियत पीयूष न भटके टेढ़ी कटि टेढ़ी कर मुरली, टेढ़ी पाग लर लटके ‘मीराँ’ प्रभु के रूप लुभानी, गिरिधर नागर नट के
Bala Main Beragan Hungi
वैराग्य बाला, मैं वैरागण हूँगी जिन भेषाँ म्हारो साहिब रीझे, सो ही भेष धरूँगी सील संतोष धरूँ घट भीतर, समता पकड़ रहूँगी जाको नाम निरंजन कहिए, ताको ध्यान धरूँगी गुरु के ज्ञान रगूँ तन कपड़ा, मन-मुद्रा पैरूँगी प्रेम-प्रीत सूँ हरि-गुण गाऊँ, चरणन लिपट रहूँगी या तन की मैं करूँ कींगरी, रसना नाम रटूँगी ‘मीराँ’ के […]
Main To Giridhar Aage Nachungi
समर्पण मैं तो गिरिधर आगे नाचूँगी नाच नाच मैं पिय को रिझाऊँ, प्रेमी जन को जाचूँगी प्रेम प्रीति के बाँध घुँघरूँ, सुरति की कछनी काछूँगी लोक लाज कुल की मर्यादा, या मैं एक न राखूँगी पिया के चरणा जाय पडूँगी, ‘मीराँ’ हरि रँग राचूँगी
Shyam Milan Ro Ghano Umavo
मिलन की प्यास श्याम मिलणरो घणो उमावो, नित उठ जोऊँ बाट लगी लगन छूटँण की नाहीं, अब कुणसी है आँट बीत रह्या दिन तड़फत यूँ ही, पड़ी विरह की फाँस नैण दुखी दरसण कूँ तरसै, नाभि न बैठे साँस रात दिवस हिय दुःखी मेरो, कब हरि आवे पास ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, पूरवो […]