Om Jay Ganpati Deva

गणपति की आरती
ॐ जय गणपति देवा, प्रभु जय गणपति देवा
जयति शिवा-शिव नन्दन, सन्त करे सेवा —-ॐ जय……
अघ नाशक, वर दाता, भक्तों के भूषण —-प्रभु भक्तों……
ॠद्धि-सिद्धि के दाता, दूर करें दूषण —-ॐ जय……
श्रुति अरु यज्ञ विभूषित, विघ्नों के हर्ता —-प्रभु विघ्नों ……
सुख-निधि शांति-निकेतन, बुद्धि विमलकर्ता —-ॐ जय ……
सुर, नर, मुनि गण वन्दित, शोभा अति न्यारी —-प्रभु शोभा ……
चन्द्र भाल पर शोभित, चार भुजा धारी —-ॐजय……
एक दन्त लम्बोदर, गज का ही मुखड़ा —-प्रभु गज ……
वक्रतुण्ड पीताम्बर, हर लेते दुखड़ा —-ॐ जय……
कोटि सूर्य सम आभा, मात उमा मोहे —-प्रभु मात……
मोदक प्रिय वरदाता, पाशांकुश सोहे —-ॐ जय…..
विद्या, धन, अरु सन्तति, मुद-मंगल दाता —-प्रभु मुद……
विघ्नेश्वर आराधक, सुख सम्पत्ति पाता —-ॐ जय……
श्री गणेशजी की आरती, जो कोई नर गाये —-प्रभु जो ……
अशुभ मिटे, शुभ आये, इच्छित फल पाये —-जय……

Mangal Aarti Divya Yugal Ki

युगल किशोर आरती
मंगल आरति दिव्य युगल की, मंगल प्रीति रीति है उनकी
मंगल कान्ति हँसनि दसनन की, मंगल मुरली मीठी धुन की
मंगल बनिक त्रिभंगी हरि की, मंगल चितवनि मृगनयनी की
मंगल सिर चंद्रिका मुकुट की, मंगल छबि नैननि में अटकी
मंगल शोभा पियरे पटकी, मंगल आभा नील-वसन की
मंगल आभा कमलनयन की, मंगल माधुरि मृदुल बैन की
मंगल छटा युगल अँग अंग की, मंगल क्रीड़ा जमुना तट की
मंगल चरन कमल दोउन की, मंगल करनि भक्ति हरिजन की
मंगल लीला प्रिया श्याम की, मंगल जुगल स्वरुप धाम की

Aarti Mangal Murati Ki

गणपति की आरती
आरती मंगल मूरति की, गजानन सिद्धि विनायक की
शीश पर स्वर्ण-मुकुट सोहे, हाथ में पाशांकुश राजे
पीत पट कटि में लहराये, मुकुट पर चन्द्रकला साजे
कण्ठ में लाल पुष्प माला, कान में कुण्डल झलकाये
सदाशिव-गिरिजा के नन्दन, वदन की शोभा मन भाये
गजानन कार्तिकेय भ्राता, भक्त के गणाधीश त्राता
करो नित सेवा गणपति की, आप ही ॠद्धि-सिद्धि दाता

Jay Surya Dev Kashyap Nandan

सूर्यनारायण आरती
जय सूर्यदेव कश्यप-नन्दन, हम बारम्बार करे वन्दन
‘तमसो-मा-ज्योतिर्गमय’ प्रभो, सब रोग भगाने वारे हो
आरूढ़ सप्त अश्वों के रथ, राजत किरीट केयूरवान्
प्रभु तेजरूप कर चक्र पद्म, त्रिभुवन के तुम्ही उजारे हो
रविमण्डल बिच पद्मासन पर, साकार ब्रह्म हे नारायण
गल रत्नहार कुण्डल भूषित, सावित्री राजदुलारे हो
जड़ चेतन के तुम स्वामी हो, हे दिनमणि अंशुमान सविता
हे महातपा वर्षा करते, जगती के तुम्ही सहारे हो
कर्मों के साक्षी विश्वबोध, अज्ञान, मोह को हर लीजै
दीर्घायु, स्वास्थ्य, प्रतिभा दीजै, भव-ताप निवारण-हारे हो

Jay Dev Jay Dev

गणपति की आरती
जय देव, जय देव
जय गणेश दुख हर्ता, विघ्न नाश कर्ता, करुणा,
प्रेम प्रदाता, मन वांछित दाता
श्री विग्रह पर उबटन, सिंदुर का सोहे,
कमल पुष्प मुक्ता की, माला मन मोहे
केसर-कुंकुम-चंदन, तिलक भाल साजे,
स्वर्ण-मुकुट रत्नों का, सिर पर अति भ्राजे
कंचन की सी आभा, पीताम्बर छाजे,
श्री चरणों में नूपुर, रुनक झुनक बाजे
वक्रतुण्ड, लम्बोदर, पाशांकुश धारी,
वर मुद्रा कर मोदक, शोभा अति भारी
श्रद्धा से स्मरण करे, शरण जो भी जाए,
गणपति की कर सेवा, सकल सिद्धि पाए
मंगलमूर्ति गजानन, अटल शांति के धाम,
आरती करूँ तुम्हारी, शत शत करूँ प्रणाम

Aarti Shri Vrashbhanu Lali Ki

राधारानी आरती
आरती श्रीवृषभानुलली की, सत्-चित-आनंद-कद-कली की
भयभंजनि भव-सागर-तारिणि, पाप-ताप-कलि-कल्मष-हारिणि,
दिव्यधाम गोलोक-विहारिणि, जन पालिनि जग जननि भली की
अखिल विश्व आनन्द विधायिनि, मंगलमयी वैभव सुख-दायिनि,
नंद नँदन पद-प्रेम प्रदायिनि, अमिय-राग-रस रंग-रली की
नित्यानन्दमयी आल्हादिनि लीलाएँ-आनंद-प्रदायिनि,
रसमयी प्रीतिपूर्ण आल्हादिनी, सरस कमलिनि कृष्ण-अली की
नित्य निकुंजेश्वरि श्री राजेश्वरि, परम प्रेमरूपा परमेश्वरि,
गोपिगणाश्रयि गोपिजनेश्वरि, विमल विचित्र भाव-अवली की

Om Har Har Har Mahadev

शिव आरती – महादेव
ॐ हर हर हर महादेव
जय नटराज, महेश्वर, महाकाल, शम्भो
आदि, अखण्ड, अगोचर, त्रिगुणातीत विभो
विश्वनाथ त्रिपुरारी, हे ओंकार स्वरूप
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव तीनों एक ही रूप
पर ब्रह्म, परमेश्वर, गंगाधर, गणनाथ
सत्-चित्-आनन्द सुन्दर, पशुपति भोलेनाथ
दक्ष-यज्ञ विध्वंसक, मदन नाश करता
कोटि सूर्य सम आभा, सौम्य रूप धरता
चिता भस्म तन राजत, बाघम्बर सोहे
अष्ट सिद्धियाँ नाचत, त्रिभुवन मन मोहे
पन्नग हार सुशोभित, तीन नयन अभिराम
वृषभ ध्वजा पे राजत, अतुलित छबि के धाम
धवल कांति अंगों की, बालचन्द्र युत भाल
गिरि-कैलाश विराजै, नीलकण्ठ मुँड माल
आरति करें तुम्हारी गिरिजापति महेश
अलख निरंजन निर्गुण हरो ताप, भय, क्लेश

Om Jay Lakshmi Mata

महालक्ष्मी आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया तुम ही जग धाता
सद्गुण, सम्पति दाता, भव-भय की त्राता
पराशक्ति परमेश्वरि, सच्चिदानन्दमयी
गरुड़ारूढ़ महेश्वरि, अनुपम नित्य नयी
उज्ज्वल वसन, सुहासिनि, श्रीविग्रह सोहे
महाशक्ति सम्मोहिनि, त्रिभुवन मन मोहे
चन्द्र समान प्रकाशित, छाजे मणि-मुक्ता
रत्नमाल गल शोभित, स्वर्ण रजत युक्ता
श्रीसूक्त से पूजित, कमला महारानी
हरि-हर-ब्रह्मा वन्दित, स्नेहमयी दानी
क्षीर-समुद्र विहारिणि, शोभा रुचिकारी
पारब्रह्म श्रुतिरूपिणि, ॠषि-मुनि मनहारी
महालक्ष्मी आल्हादिनि, सरसिज-पुष्प निवास
शुभ, ऐश्वर्य-प्रदायिनि, कीरति वित्त विलास
निर्मल जल अभिसिंचित, दिग्गज के द्वारा
दीजै वर मनवांछित, बहे ‘कनक धारा’
आदि-अन्त रहित माँ, मुखमण्डल अभिराम
कृपा-कटाक्ष करो माँ, बारंबार प्रणाम

Om Jay Jagdish Hare

जगदीश्वर आरती
ॐ जय जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे —-ॐ जय …..
जो ध्यावे फल पावे, दुख विनसे मन का —-प्रभु दुख….
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का —-ॐ जय ….
माता-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी —-प्रभु शरण ….
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी —-ॐ जय …..
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी —-प्रभु तुम ….
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी —-ॐ जय …..
तुम करुणा के सागर, तुम पालन कर्ता —-प्रभु तुम …..
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता —-ॐ जय …..
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति —-प्रभु सबके …..
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति —-ॐ जय …
दीनबन्धु दुख-हर्ता, तुम ठाकुर मेरे —-प्रभु तुम ….
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे —-ॐ जय …..
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा —-प्रभु पाप …..
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, करुं संत सेवा —-ॐ जय …..

Om Jay Ambe Gouri

दुर्गाजी आरती
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय दुर्गा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री
माँग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्र वदन नीको
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै
रक्त-पुष्प उर माला, रत्न हार साजै
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती
कोटिक चंद्र दिवाकर सम राजत ज्योति
शुम्भ, निशुम्भ विदारे, महिषासुर-घाती
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरू
बाजत ताल मृदंग अरु बाजत डमरू
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी
मनवांछित फल पावत, सेवत नर-नारी