Mat Yashoda Shri Ganesh Ki
श्री गणेश-श्री कृष्ण मात यशोदा श्री गणेश की पूजा करने को आई मोदक भर कर थाल सजाया, कान्हा को सँग में लाई नटवर की नटखट चालों की, याद उन्हें जैसे आई विघ्न न पूजा में हो जाये, शंका मन में जब आई तभी कन्हैया को खम्भे से, डोरी से जो बाँध दिया फिर विघ्नेश्वर की […]
Maiya Ne Bandha Lala Ko
माखन चोर मैया ने बाँधा लाला को नहीं माखन की चोरी छोड़ी, तब उसका शिक्षा देने को जसुमति तो बाँध नहीं पाई, थक करके आखिर बैठ गई इतना कठोर यह काम किया मन में भारी वे पछताई गोपीजन सुन दौड़ी आई हा हा कर सभी दुखी थीं मैया से कान्हा स्वतः बंधे आंसू से भरी […]
Ram Nam Ke Do Akshar
राम नाम महिमा राम नाम के दो अक्षर, पापों का, सुनिश्चित शमन करें विश्वास और श्रद्धापूर्वक, जपले भवनिधि से पार करें हो कामकाज चलते बैठे, बस राम नाम उच्चारण हो भोगे न यातना यम की वह और परम शान्तिमय जीवन हो दो अक्षर हैं ये मन्त्रराज, जो जपे कार्य सब सफल करे देवता लोग, सब […]
Vrandavan Ki Mahima Apaar
वृन्दावन महिमा वृन्दावन की महिमा अपार, ऋषि मुनि देव सब गाते हैं यहाँ फल फूलों से लदे वृक्ष, है विपुल वनस्पति और घास यह गोप गोपियों गौओं का प्यारा नैसर्गिक सुख निवास अपने मुख से श्रीकृष्ण यहाँ, बंशी में भरते मीठा स्वर तो देव देवियाँ नर नारी, आलाप सुनें तन्मय होकर सब गोपीजन को संग […]
Shyam Main Kaise Darshan Paun
दर्शन की चाह श्याम! मैं कैसे दर्शन पाऊँ दर्शन की उत्कट अभिलाषा और कहीं ना जाऊँ पूजा-विधि भलीभाँति न जानूँ कैसे तुम्हें रिझाऊँ माखन मिश्री का मैं प्रतिदिन, क्या मैं भोग लगाऊँ गोपीजन-सा भाव न मुझमें, कैसे प्रीति बढ़ाऊँ श्री राधा से प्रीति अनूठी, उनके गीत सुनाऊँ तुम्हीं श्याम बतलाओ मुझको, क्या मैं भेंट चढ़ाऊँ […]
Shri Hari Vishnu Aashray Sabke
श्री विष्णु सहस्त्रनाम महिमा श्री हरि विष्णु आश्रय सबके, गुणगान करें हम श्रद्धा से यह धर्म बड़ा है जीवन में, जो मुक्त करे जग बंधन से भगवान विष्णु के नाम सहस्त्र, अर्चन हो, दे शुभ संस्कार सब दुःखों से हो छुटकारा, सुख शान्ति मिले, छूटें विकार अविनाशी पिता प्राणियों के, कर्ता धर्ता हर्ता जग के […]
Ab Lo Nasani
भजन के पद शुभ संकल्प अब लौं नसानी, अब न नसैंहौं राम-कृपा भव-निसा सिरानी, जागे फिरि न डसैंहौं पायउँ नाम चारु चिंतामनि, उर करतें न खसैंहौं श्याम रूप सुचि रुचिर कसौटी, चित कंचनहिं कसैंहौं परबस जानी हँस्यो इन इंद्रिन, निज बस ह्वै न हँसैंहौं मन मधुकर पन करके ‘तुलसी’, रघुपति पद-कमल बसैंहौं
Jagiya Raghunath Kunwar Panchi Van Bole
प्रभाती जागिये रघुनाथ कुँवर, पँछी वन बोले चन्द्र किरन शीतल भई, चकई पिय मिलन गई त्रिविध मंद चलत पवन, पल्लव द्रुम डोले प्रात भानु प्रगट भयो, रजनी को तिमिर गयो भृंग करत गुंजगान कमलन दल खोले ब्रह्मादिक धरत ध्यान, सुर नर मुनि करत गान जागन की बेर भई, नयन पलक खोले
Mero Bhalo Kiya Ram, Apni Bhalai
उदारता मेरो भलो कियो राम, आपनी भलाई मैं तो साईं-द्रोही पै, सेवक- हित साईं रामसो बड़ो है कौन, मोसो कौन छोटो राम सो खरो है कौन, मोसो कौन खोटो लोक कहै रामको, गुलाम हौं कहावौं एतो बड़ो अपराध भौ न मन बावों पाथ-माथे चढे़तृन ‘तुलसी’ ज्यों नीचो बोरत न वारि ताहि जानि आपुसींचो
Aaj Grah Nand Mahar Ke Badhai
जन्मोत्सव आज गृह नंद महर के बधाई प्रात समय मोहन मुख निरखत, कोटि चंद छवि छाई मिलि ब्रज नागरी मंगल गावति, नंद भवन में आई देति असीस, जियो जसुदा-सुत, कोटिन बरस कन्हाई अति आनन्द बढ्यौ गोकुल में, उपमा कही न जाई ‘सूरदास’ छवि नंद की घरनी, देखत नैन सिराई