Bhagwan Buddha Karuna Avtar

भगवान बुद्ध भगवान् बुद्ध करुणावतार वास्तविक भाव जो वेदों का, हम जीवन जिये उस प्रकार जीवों की हत्या के द्वारा, यज्ञों से पूर्ण कामना हो पाखण्ड, दम्भ इनसे न कभी हित कैसे किसका संभव हो हम आड़ धर्म की लेकर के, भटकाते अपने स्वयं को ही दु:ख का कारण ही तो तृष्णा, हो विरक्ति, शांति […]

Manmohan Hamko Ati Pyare

बालकृष्ण प्रति प्रेम मनमोहन हम को अति प्यारे बार-बार किलकारी मारे, चले कन्हैया घुटनों से ब्रज-वधुएँ आनन्दित होकर, उसे लगायें छाती से कहें-इसे हम जभी देखतीं, प्यार उमड़ता हम सबको रोक नहीं पाती उमंग को, सुध-बुध रहे नहीं हमको कितनी बार गोद में लेतीं, किन्तु न मन ही भरता है धन्य प्रेम इनका कान्हा प्रति, […]

Main Bhajan Karun Durga Maa Ka

दुर्गादेवी स्तवन मैं भजन करूँ दुर्गा माँ का दुर्गुण मेरे सब नष्ट करो, आश्रय केवल ही माता का सद्बुद्धि प्रदान तू ही करती, सेवक के सारे कष्ट हरे विघ्नों को माता हर लेती, माँ कठिन कार्य को सुगम करे जब हानि धर्म की होती हैं, दैत्यों का नाश तुम्हीं करती ओ स्नेहमयी मेरी माता, भक्तों […]

Rasiya Ko Nar Banao Ri

होली रसिया को नार बनाओ री, रसिया को कटि लहँगा, उर माँहि कंचुकी, चूनर आज ओढ़ाओरी बिंदी भाल नयन में कजरा, नक बेसर पहनाओरी सजा धजा जसुमति के आगे, याको नाच नचाओरी होरी में न लाज रहे सखियाँ, मिल कर के आज चिढ़ाओरी 

Van Main Raas Chata Chitarai

रास लीला वन में रास छटा छितराई चम्पा बकुल मालती मुकुलित, मनमोहक वनराई कानन में सजधज के गोपियन,रूप धर्यो सुखदाई शरद पूर्णिमा यमुना-तट पे, ऋतु बसंत है छाई आकर्षक उर माल सुवेषित अभिनव कृष्ण पधारे दो-दो गोपी मध्य श्याम ने, रूप अनेकों धारे राजत मण्डल मध्य कन्हैया, संग राधिका प्यारी वेणु बजी ताल और लय […]

Shivshankar Se Jo Bhi Mange

औढरदानी शिव शिवशंकर से जो भी माँगे, वर देते उसको ही वैसा औढरदानी प्रभु आशुतोष, दूजा न देव कोई ऐसा कर दिया भस्म तो कामदेव, पर वर प्रदान करते रति को वे व्यक्ति भटकते ही रहते, जो नहीं पूजते शंकर को काशी में करे जो देह त्याग, निश्चित ही मुक्त वे हो जाते महादेव अनुग्रह […]

Shri Radha Nam Madhur Anmol

राधा नाम अनमोल श्री राधा नाम मधुर अनमोल नाम सुखद राधा प्यारी को, मुँह में मिश्री घोल सुख सरिता श्री राधा स्वामिनि, दर्शन कर सुख पाऊँ अंग अंग अनुराग श्याम का, चरणों में सिर नाऊँ दो अक्षर राधा रानी के, हिय में इन्हें बसाऊँ सोच विचार और सब त्यागूँ, राधा के गुण गाऊँ  

Sanakadik Devon Ke Purvaj

श्री सनकादि का उपदेश सनकादिक देवों के पूर्वज, ब्रह्माजी के मानस ये पूत मन में जिनके आसक्ति नहीं, वे तेजस्वी प्रज्ञा अकूत है सदुपदेश उनका ये ही ‘धन इन्द्रिय-सुख के हों न दास’ पुरुषार्थ चतुष्टय उपादेय, सद्भाव, चरित का हो विकास विद्या सम कोई दान नहीं, सत् के समान तप और नहीं आसक्ति सदृश न […]

Janak Mudit Man Tutat Pinak Ke

धनुष भंग जनक मुदित मन टूटत पिनाक के बाजे हैं बधावने, सुहावने सुमंगल-गान भयो सुख एकरस रानी राजा राँक के दुंदभी बजाई, सुनि हरषि बरषि फूल सुरगन नाचैं नाच नाय कहू नाक के ‘तुलसी’ महीस देखे दिन रजनीस जैसे सूने परे सून से, मनो मिटाय आँक के

Mangal Murati Marut Nandan

मारुति वंदना मंगल-मूरति मारुत-नंदन, सकल अमंगल-मूल-निकंदन पवन-तनय संतन-हितकारी, ह्रदय बिराजत अवध-बिहारी मातु-पिता, गुरु, गनपति, सारद, सिवा-समेत संभु,सुक नारद चरन बंदि बिनवौं सब काहू, देहु राम-पद-नेह-निबाहू बंदौं राम-लखन वैदेही, जे ‘तुलसी’ के परम सनेही