Khelat Gupal Nav Sakhin Sang

होली खेलत गुपाल नव सखिन संग, अंबर में छायो रंग रंग बाजत बेनु डफ और चंग, कोकिला कुहुक भरती उमंग केसर कुमकुम चंदन सुंगध, तन मन सुध बिसरी युवति वृंद कोइ निरखत है लोचन अघाय,लीनो लपेटि आनंदकंद झोरी भर-भर डारत गुलाल, मन में छाई भारी तरंग 

Chalo Man Kalindi Ke Tir

कालिंदी कूल चलो मन कालिन्दी के तीर दरशन मिले श्यामसुन्दर को, हरे हिये की पीर तरु कदम्ब के नीचे ठाड़े, कूजत कोयल कीर अधर धरे मुरली नट-नागर, ग्वाल बाल की भीर मोर-मुकुट बैजंती माला, श्रवणन् लटकत हीर मन्द मन्द मुस्कान मनोहर, कटि सुनहरो चीर रास विलास करे मनमोहन, मन्थर बहे समीर शोभित है श्री राधा-माधव, […]

Chaitanya Maha Prabhu Ki Jay Jay

चैतन्य महाप्रभु चैतन्य महाप्रभु की जय जय, जो भक्ति भाव रस बरसाये वे विष्णुप्रिया के प्राणनाथ, इस धरा धाम पर जो आये वे शचीपुत्र गौरांग देव प्रकटे, सबके मन हर्षाये हे देह कान्ति श्री राधा सी, जो भक्तों के मन को भाये रस के सागर चैतन्य देव, श्री गौर चन्द्र वे कहलाये आसक्ति शून्य वह […]

Jay Jay Brajraj Kunwar

श्रीकृष्ण चरित्र जय जय ब्रजराज कुँवर, शोभित सुखकारी मोर-मुकुट मस्तक पर, पीताम्बर धारी मुरलीधर श्याम वर्ण, जमुना तट चारी संग ग्वाल गोपीजन, ब्रजजन बलिहारी मुनि-मन-हर मंद हँसन, गुंज माल धारी नृत्यत नटवर सुवेश, सोहत बनवारी हरत मदन-मद अशेष, राधा मनहारी 

Jo Dhanush Ban Dhare

श्रीराम स्तवन जो धनुष-बाण धारे, कटि पीत वस्त्र पहने वे कमल-नयन राघव, सर्वस्व हैं हमारे वामांग में प्रभु के, माँ जानकी बिराजै नीरद सी जिनकी आभा, आया शरण तुम्हारे रघुनाथ के चरित का, कोई न पार पाये यश-गान होता जिनका, रघुनाथ पाप हारी शिव-धनुष जिसने तोड़ा, मिथिला से नाता जोड़ा असुरों के जो विनाशक, रक्षा […]

Tulsi Maharani Ko Pranam

तुलसी महिमा तुलसी महारानी को प्रणाम पटरानी ये ही श्री हरि की, जो अद्वितीय लोकाभिराम शालीग्राम के शीश चढ़े वे, हरि अर्चन इनसे ही हो सुख शांति स्वास्थ्य भी दे हमको, जब श्रद्धा से जल सिंचन हो जो भोग लगे नारायण को, तुलसी के बिना नहीं स्वीकारे महिमा अपार तुलसीजी की, माँ भक्ति दान दो, […]

Dhuri Bhare Ati Shobhit Shyam Ju

श्री बालकृष्ण माधुर्य धूरि-भरे अति शोभित स्यामजू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी खेलत-खात फिरै अँगना, पग पैंजनी बाजति, पीरी कछौटी वा छबि को रसखानि बिलोकत, बारत काम कलानिधि कोटी काग के भाग कहा कहिए हरि, हाथ सों लै गयो माखन रोटी शेष, महेश, गनेश, दिनेस, सुरेशहु जाहि निरन्तर गावैं जाहि अनादि अखण्ड अछेद, अभेद सुवेद […]

Neel Kamal Mukh Shobhit

श्रीकृष्ण माधुर्य नील-कमल मुख शोभित, अलकें घुँघराली कौस्तुभ मणि-माल कण्ठ, शोभित वनमाली पीताम्बर श्याम-अंग ऐसो सखि सोहे मानो घन-श्याम बीच, चपला मन मोहे माथे पर मोर मुकुट, चन्द्रिका बिराजे भाल तिलक केसर की अनुपम छवि छाजे कुण्डल की झलक चपल लग रही निराली त्रिभुवन में गूँज रही, वंशी धुन आली पूनम की रात मृदुल,पूर्ण चन्द्रिका […]

Prabhu Ji Tum Chandan Ham Paani

दास्य भक्ति प्रभुजी! तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी प्रभुजी! तुम घन वन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा प्रभुजी! तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरे दिन राती प्रभुजी! तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहि मिलत सुहागा प्रभुजी! तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करे ‘रैदासा’  

Banshi Sadharan Vadya Nahi

मोहन की मुरली बंशी साधारण वाद्य नहीं प्राणों व साँसों से बजता, अनुपम ऐसा है वाद्य यही जब बंसी बजाते श्रीकृष्ण, आनन्द उसी में भर देते पशु पक्षी भी तब स्थिर हों, सुनने को कान लगा देते अश्चर्य चकित ऋषि-मुनि होते, तब भंग समाधि हो जाती रोमांच गोपियों को होता, घर से तत्काल निकल पड़ती […]