Main Bhajan Karun Durga Maa Ka

दुर्गादेवी स्तवन मैं भजन करूँ दुर्गा माँ का दुर्गुण मेरे सब नष्ट करो, आश्रय केवल ही माता का सद्बुद्धि प्रदान तू ही करती, सेवक के सारे कष्ट हरे विघ्नों को माता हर लेती, माँ कठिन कार्य को सुगम करे जब हानि धर्म की होती हैं, दैत्यों का नाश तुम्हीं करती ओ स्नेहमयी मेरी माता, भक्तों […]

Rasiya Ko Nar Banao Ri

होली रसिया को नार बनाओ री, रसिया को कटि लहँगा, उर माँहि कंचुकी, चूनर आज ओढ़ाओरी बिंदी भाल नयन में कजरा, नक बेसर पहनाओरी सजा धजा जसुमति के आगे, याको नाच नचाओरी होरी में न लाज रहे सखियाँ, मिल कर के आज चिढ़ाओरी 

Van Main Raas Chata Chitarai

रास लीला वन में रास छटा छितराई चम्पा बकुल मालती मुकुलित, मनमोहक वनराई कानन में सजधज के गोपियन,रूप धर्यो सुखदाई शरद पूर्णिमा यमुना-तट पे, ऋतु बसंत है छाई आकर्षक उर माल सुवेषित अभिनव कृष्ण पधारे दो-दो गोपी मध्य श्याम ने, रूप अनेकों धारे राजत मण्डल मध्य कन्हैया, संग राधिका प्यारी वेणु बजी ताल और लय […]

Shivshankar Se Jo Bhi Mange

औढरदानी शिव शिवशंकर से जो भी माँगे, वर देते उसको ही वैसा औढरदानी प्रभु आशुतोष, दूजा न देव कोई ऐसा कर दिया भस्म तो कामदेव, पर वर प्रदान करते रति को वे व्यक्ति भटकते ही रहते, जो नहीं पूजते शंकर को काशी में करे जो देह त्याग, निश्चित ही मुक्त वे हो जाते महादेव अनुग्रह […]

Shri Radha Nam Madhur Anmol

राधा नाम अनमोल श्री राधा नाम मधुर अनमोल नाम सुखद राधा प्यारी को, मुँह में मिश्री घोल सुख सरिता श्री राधा स्वामिनि, दर्शन कर सुख पाऊँ अंग अंग अनुराग श्याम का, चरणों में सिर नाऊँ दो अक्षर राधा रानी के, हिय में इन्हें बसाऊँ सोच विचार और सब त्यागूँ, राधा के गुण गाऊँ  

Sanakadik Devon Ke Purvaj

श्री सनकादि का उपदेश सनकादिक देवों के पूर्वज, ब्रह्माजी के मानस ये पूत मन में जिनके आसक्ति नहीं, वे तेजस्वी प्रज्ञा अकूत है सदुपदेश उनका ये ही ‘धन इन्द्रिय-सुख के हों न दास’ पुरुषार्थ चतुष्टय उपादेय, सद्भाव, चरित का हो विकास विद्या सम कोई दान नहीं, सत् के समान तप और नहीं आसक्ति सदृश न […]

Shri Guru Charan Saroj Raj – Hanuman Chalisa

हनुमान चालीसा दोहा – श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार चौपाई – जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर राम दूत अतुलित बल धामा, अंजनि पुत्र पवन सुत […]

Garharsthya Dharma Sarvottam Hi

गृहस्थ जीवन गार्हस्थ्य धर्म सर्वोत्तमही इन्द्रिय-निग्रह व सदाचार, अरु दयाभाव स्वाभाविक ही सेवा हो माता पिता गुरु की, परिचर्या प्रिय पति की भी हो ऐसे गृहस्थी पर तो प्रसन्न, निश्चय ही पितर देवता हो हो साधु, संत, सन्यासी के, जीवनयापन का भी अधार जहाँ सत्य, अहिंसा, शील तथा, सद्गुण का भी निश्चित विचार  

Tu Apne Ko Pahchan Re

जीवात्मा तूँ अपने को पहचान रे ईश्वर अंश जीव अविनाशी, तूँ चेतन को जान रे घट घट में चेतन का वासा, उसका तुझे न भान रे परम् ब्रह्म का यह स्वरूप है, जो यथार्थ में ज्ञान रे रक्त मांस से बनी देह यह, जल जाती श्मशान रे वे विश्व वद्य वे जग-निवास, कर मन में […]

Pitaron Ka Shradha Avashya Kare

पितृ-श्राद्ध पितरों का श्राद्ध अवश्य करें श्रद्धा से करे जो पुत्र पौत्र, वे पितरों को सन्तुष्ट करें जो देव रुद्र आदित्य वसु, निज ज्ञान-शक्ति के द्वारा ही किस योनी में उत्पन्न कहाँ, कोई देव जानते निश्चय ही ये श्राद्ध वस्तु देहानुरूप, दे देते हैं उन पितरों को विधि पूर्वक होता श्राद्ध कर्म, आशीष सुलभ सन्तानों […]