Pratah Sandhya Nit Manan Karen

आत्म चिन्तन प्रातः संध्या नित मनन करें मैं अंश ही हूँ परमात्मा का, सच्चिदानन्द मैं भी तो हूँ मैं राग द्वेष में लिप्त न हूँ, मैं अजर अमर आनन्दमय हूँ सुख-दुख में समता रहे भाव, मैं निर्मल हूँ अविनाशी हूँ इन्द्रिय-विषयों से दूर नित्य, मैं शुद्ध बुद्ध अरु शाश्वत हूँ  

Manavka Tan Jinse Paya

भक्ति-भाव मानव का तन जिनसे पाया, उन राम कृष्ण की भक्ति हो आसक्ति त्याग कर दुनिया की, करुणानिधि में अनुरक्ति हो श्रीरामचरितमानस हमको, भक्ति की समुचित शिक्षा दे नवधा भक्ति के जो प्रकार, अनुगमन करें प्रभु शक्ति दे सत्संग तथा हरिकथा सुने, गुरुसेवा प्रभु गुणगान करें हो आस्था प्रभु का मंत्र जपें, इन्द्रिय -निग्रह, सत्कर्म […]

Samast Srushti Jis Ke Dwara

बुद्धियोग समस्त सृष्टि जिसके द्वारा, सर्वात्मा ईश्वर एक वही सब लोक महेश्वर शक्तिमान, सच्चिदानन्दमय ब्रह्म वही जो कर्म हमारे भले बुरे, हो प्राप्त शुभाशुभ लोक हमें उत्तम या अधम योनियाँ भी, मिलती हैं तद्नुसार हमें हम शास्त्र विहित आचरण करें, शास्त्र निषिद्ध का त्याग करें सांसारिक सुख सब नश्वर है, भगवत्प्राप्ति का यत्न करें निष्काम […]

Ujjwal Aarti Mangal Kari

युगल किशोर आरती उज्ज्वल आरती मंगलकारी, युगल स्वरूप छटा मनहारी मेघवर्ण श्री कृष्ण मुरारी, विजयन्ती माला धुर धारी तिलक चारु अलकें घुँघरारी, पीताम्बर की शोभा-भारी कनक-लता श्री राधा प्यारी, सुघड़ शरीर सुरंगी सारी मुक्ता-माल करधनी न्यारी, स्वर्ण-चंद्रिका भी रुचिकारी राधा मोहन कुंज बिहारी, वृन्दावन यमुना-तट चारी तन-मन या छबि ऊपर वारी, भवनिधि पार करो गिरिधारी […]

Janak Mudit Man Tutat Pinak Ke

धनुष भंग जनक मुदित मन टूटत पिनाक के बाजे हैं बधावने, सुहावने सुमंगल-गान भयो सुख एकरस रानी राजा राँक के दुंदभी बजाई, सुनि हरषि बरषि फूल सुरगन नाचैं नाच नाय कहू नाक के ‘तुलसी’ महीस देखे दिन रजनीस जैसे सूने परे सून से, मनो मिटाय आँक के

Mangal Murati Marut Nandan

मारुति वंदना मंगल-मूरति मारुत-नंदन, सकल अमंगल-मूल-निकंदन पवन-तनय संतन-हितकारी, ह्रदय बिराजत अवध-बिहारी मातु-पिता, गुरु, गनपति, सारद, सिवा-समेत संभु,सुक नारद चरन बंदि बिनवौं सब काहू, देहु राम-पद-नेह-निबाहू बंदौं राम-लखन वैदेही, जे ‘तुलसी’ के परम सनेही

Abki Tek Hamari, Laj Rakho Girdhari

शरणागति अबकी हमारी, लाज राखो गिरिधारी जैसी लाज राखी अर्जुन की, भारत-युद्ध मँझारी सारथि होके रथ को हाँक्यो, चक्र सुदर्शन धारी भक्त की टेक न टारी जैसी लाज राखी द्रोपदी की, होन न दीनि उघारी खेंचत खेंचत दोउ भुज थाके, दुःशासन पचि हारी चीर बढ़ायो मुरारी सूरदास की लज्जा राखो, अब को है रखवारी राधे […]

Kari Gopal Ki Hoi

प्रारु करी गोपाल की होई जो अपनौं पुरुषारथ मानत, अति झूठौ है सोई साधन, मंत्र, जंत्र, उद्यम, बल, ये सब डारौ धोई जो कछु लिखि राखी नँदनंदन, मेटि सकै नहिं कोई दुख-सुख लाभ-अलाभ समुझि तुम, कतहिं मरत हौ रोई ‘सूरदास’ स्वामी करुनामय, स्याम चरन मन पोई

Gopiyan Aai Nand Ke Dware

होली गोपियाँ आईं नन्द के द्वारे खेलत फाग बसंत पंचमी, पहुँचे नंद-दुलारे कोऊ अगर कुमकुमा केसर, काहू के मुख पर डारे कोऊ अबीर गुलाल उड़ावे, आनँद तन न सँभारे मोहन को गोपी निरखत सब, नीके बदन निहारे चितवनि में सबही बस कीनी, मनमोहन चित चोरे ताल मृदंग मुरली दफ बाजे, झाँझर की झन्कारे ‘सूरदास’ प्रभु […]

Ja Din Man Panchi Udi Jehain

देह का गर्व जा दिन मन पंछी उड़ि जैहैं ता दिन तेरे तन तरुवर के, सबै पात झरि जैहैं या देही की गरब न करियै, स्यार, काग, गिध खैहैं ‘सूरदास’ भगवंत भजन बिनु, वृथा सु जनम गँवैंहैं