Prabhu Ka Jo Anugrah Hota Hai

भक्त प्रभु का जो अनुग्रह होता है सांसारिकता से निवृत्ति हो, हरि का स्वरूप मन भाता है लीलाओं का वर्णन करते, वाणी गद्गद् हो जाती है तब रोता है या हँसता है, कभी नाचे या तो गाता है जब रूप गुणों में तन्मय हो, चित द्रवित तभी हो जाता है होता है भक्त जो कि, […]

Bhagwan Krishna Ke Charno Main

स्तुति भगवान् कृष्ण के चरणों में, मैं करूँ वंदना बारंबार जो प्राणि-मात्र के आश्रय हैं, भक्तों के कष्ट वही हरतें ब्रह्मादि देव के भी स्वामी, मैं करूँ प्रार्थना बारंबार जो आदि अजन्मा भी यद्यपि हैं, पर विविध रूप धारण करते पृथ्वी पर लीलाएँ करते, मैं करूँ स्तवन बारंबार जब संकट से हम घिर जाते, करूणानिधि […]

Vivek Prapt Hai Manav Ko

विवेक विवेक प्राप्त है मानव को क्या तो अनुचित अथवा कि उचित, यह समझ नहीं पशु पक्षी को जो सदुपयोग करले इसका, उसका तो जीवन सफल हुआ वरना तो पशु से भी निकृष्ट, मानव का जीवन विफल हुआ हम अपने और दूसरों का, कर पायें भला विवेक यही तब तत्वज्ञान में हो परिणित, सर्वज्ञ प्रभु […]

Jiwan Bit Gaya Sab Yun Hi

शरणागति जीवन बीत गया सब यूँ ही, भला न कुछ कर पाया तेरी मेरी करके ही बस, सारा समय बिताया कहीं हुआ सम्मान जरा तो, अहंकार मन आया कितना बड़ा आदमी हूँ मैं, सोच व्यर्थ इठलाया जड़ चेतन में तूँ ही तू है, फिर भी क्यों भरमाया किया एक से राग, और दूजे को ठुकराया […]

Devopasna Shubhkari

देवोपासना देवोपासना शुभकारी संहिता वेद सब शास्त्र कहे, आराधन सब विधि हितकारी श्रीराम-कृष्ण व महादेव, दुर्गा भैया भी संग में हो भगवान सूर्य, श्रीगणपतिजी, ये पाँच देव पूजा में हों षोडोपचार, पंचोपचार, जैसा भी मन में हो विचार इन देवों की जो पूजा हो, श्रृद्धा की मन हो बहार कर्मों का बन्धन कट जाता, प्रभु […]

Prabhu Ki Satta Hai Kahan Nahi

सर्व शक्तिमान् प्रभु की सत्ता है कहाँ नहीं घट घट वासी, जड़ चेतन में, वे सर्व रूप हैं सत्य सही प्रतिक्षण संसार बदलता है, फिर भी उसमें जो रम जाये जो नित्य प्राप्त परमात्म तत्व, उसका अनुभव नहीं हो पाये स्थित तो प्रभु हैं कहाँ नहीं, पर आवृत बुद्धि हमारी है मन, बुद्धि, इन्द्रियों से […]

Bhaj Le Pyare Hari Ka Nam

नाम स्मरण भजले प्यारे हरि का नाम, इसमें लगे न कुछ भी दाम कर न बुराई कभी किसी की, जप ले मन से हरि का नाम नयनों से दर्शन हो हरि का, सुनों कान से प्रभु का गान करो तीर्थ सेवन पैरों से, करो हाथ से समुचित दान मन बुद्धि श्रद्धा से प्यारे, होय नित्य […]

Shashwat Sathi Bas Aatma Hi

आत्मानुभूति शाश्वत साथी बस आत्मा ही जन्म से पूर्व, मृत्यु के बाद, रहता जो निरन्तर एक यही वह नहीं छोड़ता कभी हमें, परमात्मा का ही अंश जान परिवार प्रति कर्तव्य व्यक्ति का, इसका भी होए सदा मान रागात्मक भाव नहीं किन्तु, अनुभूति विराग की हो मन में निर्वहन करे दायित्वों का व पालन करे यथा […]

Jiwan Main Sadgun Apnayen

सदाचरण जीवन में सद्गुण अपनाएँ जिसके जीवन में सदाचार, वह आगे बढ़ता ही जाए सेवा सत्कार बड़ों का हो, आशीष स्वतः उनसे पाएँ जो व्यक्ति हमारी मदद करे, हों कृतज्ञ भूल यह नहीं जाए जो भी दुगुर्ण में लिप्त रहे, वह बीज बुराई का बोता सज्जन संतों का संग करे, जीवन में दुःखी नहीं होता 

Dhan Sanchay Se Dukhi Hote

धन संचय धन संचय से दुःखी होते दूजों को वंचित करके ही हम धन की वृद्धि कर पाते हम स्वामी उतने ही धन के जिससे कि गुजारा हो जाये ज्यादा धन को अपना माने, वह व्यक्ति चोर ही कहलाये परिवार में धन के कारण ही आपस में बँटवारा होता ज्यादा धन से सुख मिलता है, […]