Tum Bin Jiwan Bhar Bhayo

शरणागति तुम बिन जीवन भार भयो! कब लगि भटकाओगे प्रीतम, हिम्मत हार गयो कहाँ करों अब सह्यो जात नहिं, अब लौ बहुत सह्यो अपनो सब पुरुषारथ थाक्यों, तव पद सरन गह्यो सरनागत की पत राखत हो, सब कोऊ यही कह्यो करुणानिधि करुणा करियो मोहि, मन विश्वास भयो  

Vipin So Aawat Bhawan Kanhai

वन वापसी विपिन सों आवत भवन कन्हाई संग गोप गौअन की टोली और सुघड़ बल भाई गोधूली बेला अति पावन, ब्रज रज वदन सुहाई नील कमल पै जनु केसर की, सोहत अति सुखराई साँझ समय यह आवन हरि की, निरखहिं लोग लुगाई सो छबि निरखन को हमरे हूँ, नयना तरसहिं माई

Muraliya Mat Baje Ab Aur

मुरली का जादू मुरलिया! मत बाजै अब और हर्यौ सील-कुल-मान करी बदनाम मोय सब ठौर रह्यो न मोपै जाय सुनूँ जब तेरी मधुरी तान उमगै हियौ, नैन झरि लागै, भाजन चाहैं प्रान कुटिल कान्ह धरि तोय अधर पर, राधा राधा टेरे रहै न मेरौ मन तब बस में, गिनै न साँझ सवेरे

Man Le Manwa Murakh Tu

सीख मान ले मनवा मूरख तू, अब तो भज नाम निंरजन का माँ-उदर में जिसने पेट भरा, अब पेट के काज तू क्यों भटके दुनियाँ का पोषण जो करता, वह पालनहार तेरे तन का ये मात-पिता, भाई-बंधु, बेटा अरु, माल मकान सभी कोई वस्तु नहीं स्थिर है यहाँ, करले तू काम भलाई का ये काल […]

Aab Tum Meri Aur Niharo

शरणागति अब तुम मेरी ओर निहारो हमरे अवगुन पै नहि जाओ, अपनो बिरुद सम्भारो जुग जुग साख तुम्हारी ऐसी, वेद पुरानन गाई पतित उधारन नाम तिहारो, यह सुन दृढ़ता आई मैं अजान तुम सम कुछ जानों, घट घट अंतरजामी मैं तो चरन तुम्हारे लागी, शरणागत के स्वामी हाथ जोरि के अरज करति हौं, अपनालो गहि […]

Aawat Hi Yamuna Bhar Pani

मोहन की मोहिनी आवत ही यमुना भर पानी श्याम रूप काहूको ढोटा, चितवानि देख लुभानी मोहन कह्यो तुमहीं या ब्रज में, हम कूँ नहिं पहिचानी ठगी रही मूरत मन अटक्यो, मुख निकसत नहीं बानी जा दिन तें चितये री वह छबि, हरि के हाथ बिकानी ‘नंददास’ प्रभु सों मन मिलियो, ज्यों सागर में पानी

Kar Chintan Shri Krishna Ka

श्री राधाकृष्ण कर चिन्तन श्रीकृष्ण का, राधावर का ध्यान अमृत ही अमृत झरे, करुणा-प्रेम निधान जप तप संयम दान व्रत, साधन विविध प्रकार श्रीकृष्ण से प्रेम ही, निगमागम का सार कृष्ण कृष्ण कहते रहो, अमृत-मूरि अनूप श्रुति-शास्त्र का मधुर फल, रसमय भक्ति स्वरूप श्रीराधा की भक्ति में निहित प्यास का रूप आदि अन्त इसमें नहीं, […]

Koi Manushya Hai Nich Nahi

भरत-केवट मिलाप कोई मनुष्य है नीच नहीं, भगवान भक्त हो, बड़ा वही श्री भरत मिले केवट से तो, दोनों को ही आनन्द हुआ मालूम हुआ केवट से ही, राघव का उससे प्रेम हुआ तब भरत राम के जैसे ही, छाती से उसको लगा रहे केवट को इतना हर्ष हुआ, आँखों से उसके अश्रु बहे जाति […]

Chalo Man Shri Vrindavan Dham

राधा कृष्ण चलो मन श्री वृन्दावन धाम किसी कुंज या यमुना-तट पे, मिल जायेंगे श्याम सुन्दर छबिमय मोर-मुकुट में, सातो रंग ललाम वही सुनहरे पीत-वसन में, शोभित शोभा-धाम वनमाला के सुमन सुमन में, सुलभ शुद्ध अनुराग और बाँसुरी की सुर-धुन में, राधा का बस राग सुन्दरियों संग रास रमण में, प्रेम ज्योति अभिराम राधा दीखे […]

Chaitanya Maha Prabhu Ki Jay Jay

चैतन्य महाप्रभु चैतन्य महाप्रभु की जय जय, जो भक्ति भाव रस बरसाये वे विष्णुप्रिया के प्राणनाथ, इस धरा धाम पर जो आये वे शचीपुत्र गौरांग देव प्रकटे, सबके मन हर्षाये हे देह कान्ति श्री राधा सी, जो भक्तों के मन को भाये रस के सागर चैतन्य देव, श्री गौर चन्द्र वे कहलाये आसक्ति शून्य वह […]