Shyam Dekh Darpan Main Bole
राधिका श्याम सौन्दर्य श्याम देख दर्पण में बोले ‘सुनो राधिका प्यारी आज बताओ मैं सुन्दर या तुम हो सुभगा न्यारी’ असमंजस में पड़ी राधिका, कौन अधिक रुचिकारी ‘हम का कहें कि मैं गोरी पर, तुम तो श्याम बिहारी’ जीत गई वृषभानु-दुलारी, मुग्ध हुए बनवारी भक्तों के सर्वस्व राधिका-श्याम युगल मनहारी
Shri Hari Vishnu Aashray Sabke
श्री विष्णु सहस्त्रनाम महिमा श्री हरि विष्णु आश्रय सबके, गुणगान करें हम श्रद्धा से यह धर्म बड़ा है जीवन में, जो मुक्त करे जग बंधन से भगवान विष्णु के नाम सहस्त्र, अर्चन हो, दे शुभ संस्कार सब दुःखों से हो छुटकारा, सुख शान्ति मिले, छूटें विकार अविनाशी पिता प्राणियों के, कर्ता धर्ता हर्ता जग के […]
Samast Srushti Jis Ke Dwara
बुद्धियोग समस्त सृष्टि जिसके द्वारा, सर्वात्मा ईश्वर एक वही सब लोक महेश्वर शक्तिमान, सच्चिदानन्दमय ब्रह्म वही जो कर्म हमारे भले बुरे, हो प्राप्त शुभाशुभ लोक हमें उत्तम या अधम योनियाँ भी, मिलती हैं तद्नुसार हमें हम शास्त्र विहित आचरण करें, शास्त्र निषिद्ध का त्याग करें सांसारिक सुख सब नश्वर है, भगवत्प्राप्ति का यत्न करें निष्काम […]
Aarti Yugal Swaroop Ki
युगल किशोर आरती आरति युगल स्वरूप की कीजै, चरण-सरोज बसा मन लीजै नन्द तनय जसुमति महतारी, मदन गोपाल, गोवर्धन धारी चन्द्रमुखी वृषभानु-किशोरी, सुघड़ सलोनी सूरत न्यारी कमल नयन श्रीकृष्ण कन्हैया, निरख रूप रीझति है मैया गोरांगी राधा चित चोरी, दिव्य रूप पर जाय बलैया मोर-मुकुट कर मुरली सोहे, नटवर वेष देख मन मोहे दामिनि सी […]
Jay Jay Jay Gurudev
गुरुदेव आरती जय जय जय गुरु देव जय गुरुदेव दयालू, भक्तन हितकारी व्यास रुप हे सद्गुरु, जाऊँ बलिहारी हरि हर ब्रह्मा रूपा, मुद मंगलकारी वेद, पुराण, पुकारे, गुरु महिमा भारी काम, क्रोध, मद, मत्सर, लोभ दोष सारे ज्ञान खड्ग के द्वारा, गुरु सबको मारे भव-सागर अति दुर्गम, भँवर पड़े गहरे सद्गुरु नाव केवटिया, क्षण में […]
Aaj Sakhi Raghav Ki Sudhi Aai
स्मृति आज सखि! राघव की सुधि आई आगे आगे राम चलत है, पीछे लक्ष्मण भाई इनके बीच में चलत जानकी, चिन्ता अधिक सताई सावन गरजे भादों बरसे,पवन चलत पुरवाई कौन वृक्ष तल भीजत होंगे, राम लखन दोउ भाई राम बिना मोरी सूनी अयोध्या, लक्ष्मण बिन ठकुराई सीता बिन मोरी सूनी रसोई, महल उदासी छाई
Apurva Nratya Hanuman Kare
मारुति-सुत का नृत्य अपूर्व नृत्य हनुमान करें है दिव्य देह, सिन्दूर लेप, करताल करो में चित्त हरें आनन्दित मुख की श्रेष्ठ छटा, श्रीराम नाम का गान करें चरणों में मोहक घुँघरू, दो नयनों से प्रेमाश्रु झरें कटि में शोभित है रक्ताम्बर, अंजनी-सुत हम पर कृपा करें
Khelat Gupal Nav Sakhin Sang
होली खेलत गुपाल नव सखिन संग, अंबर में छायो रंग रंग बाजत बेनु डफ और चंग, कोकिला कुहुक भरती उमंग केसर कुमकुम चंदन सुंगध, तन मन सुध बिसरी युवति वृंद कोइ निरखत है लोचन अघाय,लीनो लपेटि आनंदकंद झोरी भर-भर डारत गुलाल, मन में छाई भारी तरंग
Aaj Grah Nand Mahar Ke Badhai
जन्मोत्सव आज गृह नंद महर के बधाई प्रात समय मोहन मुख निरखत, कोटि चंद छवि छाई मिलि ब्रज नागरी मंगल गावति, नंद भवन में आई देति असीस, जियो जसुदा-सुत, कोटिन बरस कन्हाई अति आनन्द बढ्यौ गोकुल में, उपमा कही न जाई ‘सूरदास’ छवि नंद की घरनी, देखत नैन सिराई
Dhuri Bhare Ati Shobhit Shyam Ju
श्री बालकृष्ण माधुर्य धूरि-भरे अति शोभित स्यामजू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी खेलत-खात फिरै अँगना, पग पैंजनी बाजति, पीरी कछौटी वा छबि को रसखानि बिलोकत, बारत काम कलानिधि कोटी काग के भाग कहा कहिए हरि, हाथ सों लै गयो माखन रोटी शेष, महेश, गनेश, दिनेस, सुरेशहु जाहि निरन्तर गावैं जाहि अनादि अखण्ड अछेद, अभेद सुवेद […]