Main Apno Man Hari So Joryo

मोहन से प्रीति मैं अपनो मन हरि सों जोर्यो, हरि सों जोरि सबनसो तोर्यो नाच नच्यों तब घूँघट कैसो, लोक-लाज डर पटक पिछोर्यो आगे पाछे सोच मिट गयो, मन-विकार मटुका को फोर्यो कहनो थो सो कह्यो सखी री, काह भयो कोऊ मुख मोर्यो नवल लाल गिरिधरन पिया संग, प्रेम रंग में यह तन बोर्यो ‘परमानंद’ […]

Tum Meri Rakho Laj Hari

शरणागति तुम मेरी राखौ लाज हरी तुम जानत सब अंतरजामी, करनी कछु न करी औगुन मोसे बिसरत नाहीं, पल-छिन घरी-घरी सब प्रपंच की पोट बाँधिकैं, अपने सीस धरी दारा-सुत-धन मोह लियो है, सुधि-बुधि सब बिसरी ‘सूर’ पतित को बेग उधारो, अब मेरी नाव भरी

Meera Magan Hari Ke Gun Gay

मग्न मीरा मीराँ मगन हरि के गुण गाय साँप-पिटारा राणा भेज्या, मीराँ हाथ दियो जाय न्हाय धोय जब देखण लागी, सालिगराम गई पाय जहर को प्याला राणाजी भेज्या, अमृत दियो बनाय न्हाय धोय जब पीवण लागी, हो गई अमर अँचाय सूल सेज राणाजी भेजी, दीज्यो मीराँ सुलाय साँझ भई मीराँ सोवण लागी, मानो फूल बिछाय […]

Main Hari Main Hari Main Hari O Giridhari

प्रतीक्षा मैं हारी, मैं हारी, मैं हारी ओ गिरिधारी आप बिसारे, पर ना हारी, पंथ निहारे हारी मैं हारी…. पतझर बीता डाल डाल पर नये पात फिर छाये, पर ना दुखिया मन में मेरे, फिरे भाग फिर आये सुख के दिन क्या बीत चले, मैं आशा धारे हारी मैं हारी… आँचल भींग गये आँसू से, […]

Dekhe Sab Hari Bhog Lagat

अन्नकूट देखे सब हरि भोग लगात सहस्र भुजा धर उत जेमत है, इन गोपन सों करत है बात ललिता कहत देख हो राधा, जो तेरे मन बात समात धन्य सबहिं गोकुल के वासी, संग रहत गोकुल के नाथ जेमत देख नंद सुख दीनों, अति प्रसन्न गोकुल नर-नारी ‘सूरदास’ स्वामी सुख-सागर, गुण-आगर नागर दे तारी

Meera Lago Rang Hari

हरि से प्रीति ‘मीराँ’ लागो रंग हरी, और न रँग की अटक परी चूड़ो म्हाँरे तिलक अरु माला, सील बरत सिणगारो और सिंगार म्हाँरे दाय न आवे, यो गुरू ज्ञान हमारो कोई निंदो कोई बिंदो म्हे तो, गुण गोबिंद का गास्याँ जिण मारग म्हाँरा साध पधारौ, उण मारग म्हे जास्याँ चोरी न करस्याँ, जिव न […]

Shri Hari Vishnu Aashray Sabke

श्री विष्णु सहस्त्रनाम महिमा श्री हरि विष्णु आश्रय सबके, गुणगान करें हम श्रद्धा से यह धर्म बड़ा है जीवन में, जो मुक्त करे जग बंधन से भगवान विष्णु के नाम सहस्त्र, अर्चन हो, दे शुभ संस्कार सब दुःखों से हो छुटकारा, सुख शान्ति मिले, छूटें विकार अविनाशी पिता प्राणियों के, कर्ता धर्ता हर्ता जग के […]

Dekhe Ham Hari Nangam Nanga

श्याम स्वरुप देखे हम हरि नंगम्नंगा आभूषण नहिं अंग बिराजत, बसन नहीं, छबि उठत तरंगा अंग अंग प्रति रूप माधुरी, निरखत लज्जित कोटि अनंगा किलकत दसन दधि मुख लेपन, ‘सूर’ हँसत ब्रज जुवतिन संगा

Main Hari Charanan Ki Dasi

हरि की दासी मैं हरि चरणन की दासी मलिन विषय रस त्यागे जग के, कृष्ण नाम रस प्यासी दुख अपमान कष्ट सब सहिया, लोग कहे कुलनासी आओ प्रीतम सुन्दर निरुपम, अंतर होत उदासी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चैन, नींद सब नासी

Nand Dham Khelat Hari Dolat

बाल क्रीड़ा नन्द –धाम खेलत हरि डोलत जसुमति करति रसोई भीतर, आपुन किलकत बोलत टेरि उठी जसुमति मोहन कौं, आवहु काहैं न धाइ बैन सुनत माता पहिचानी, चले घुटुरुवनि पाइ लै उठाइ अंचल गहि पोंछै, धूरि भरी सब देह ‘सोर्दास’ जसुमति रज झारति, कहाँ भरी यह खेह