Braj Ko Bacha Lo Mohan

गोवर्धन लीला ब्रज को बचा लो मोहन, रक्षा करो हमारी हो कु्रद्ध शची के पति ने, वर्षा करी है भारी आँधी भी चल रही है, ओले बरस रहे हैं पानी से भर गया ब्रज, सब कष्ट से घिरे हैं गिरिराज को उखाड़ा, ले हाथ पर हरि ने उसको उठाये रक्खा, दिन सात तक उन्होंने ब्रज […]

Bhai Duj Bal Mohan Dou

भाई दूज भाई दूज बल मोहन दोऊ, बहन सुभद्रा के घर आये विविध भाँति श्रृंगार कियो पट भूषण बहुत सुहाये अति प्रसन्न हो भोजन परसे, भाई के मन भाये तत्पश्चात् तिलक बीड़ा दे, बहन अधिक सुख पाये श्रीफल और मिठाई से भाई की गोद भराई ‘रामदास’ प्रभु तुम चिर-जीवौ, दे अशीष हरषाई 

Aavat Mohan Dhenu Charay

गो-चारण आवत मोहन धेनु चराय मोर-मुकुट सिर, उर वनमाला, हाथ लकुटि, गो-रज लपटाय कटि कछनी, किंकिन-धुनि बाजत, चरन चलत नूपुर-रव लाय ग्वाल-मंडली मध्य स्यामघन, पीतवसन दामिनिहि लजाय गोप सखा आवत गुण गावत, मध्य स्याम हलधर छबि छाय सूरदास प्रभु असुर सँहारे, ब्रज आवत मन हरष बढ़ाय

Bhukh Lagi Hai Mohan Pyare

प्रेम के भूखे भूख लगी है मोहन प्यारे यज्ञ करे मथुरा में ब्राह्मण, जाओ उनके द्वारे हाँ ना कुछ भी कहे न द्विज तो, चाह स्वर्ग की मन में ग्वाल-बाल सब भूखे ही लोटे, घोर निराशा उन में बोले हरि यों आस न छोड़ों अनुचित है यह राह यज्ञ-पत्नियाँ जो कि वहाँ है, पूर्ण करेंगी […]

Kahan Lage Mohan Maiya Maiya

कहन-लागे-मोहन मैया मैया नंद महर सौ बाबा-बाबा, अरु हलधर सौं भैया ऊँचे चढ़ि चढ़ि कहति जसोदा, लै लै नाम कन्हैया दूर खेलन जिनि जाहु लला रे, मारेगी कोउ गैया गोपी-ग्वाल करत कौतूहल, घर घर बजति बधैया ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हे दरस कौ, चरननि की बलि जैया

Mohan Ne Murali Adhar Dhari

मुरली का जादू मोहन ने मुरली अधर धरी वृन्दावन में ध्वनि गूंज रही, सुन राधे-स्वर सब मुग्ध हुए कोई न बचा इस जादू से, सबके मन इसने चुरा लिए जड़ भी चैतन्य हुए सुन कर, उन्मत्त दशा पशु पक्षी की जल प्रवाह कालिन्दी में रुक गया, कला ये वंशी की गोपीजन की गति तो विचित्र, […]

Bal Mohan Dou Karat Biyaru

बल मोहन बल मोहन दोऊ करत बियारू, जसुमति निरख जाय बलिहारी प्रेम सहित दोऊ सुतन जिमावत, रोहिणी अरु जसुमति महतारी दोउ भैया साथ ही मिल बैठे, पास धरी कंचन की थारी आलस कर कर कोर उठावत, नयनन नींद झपक रही भारी दोउ जननी आलस मुख निरखत, तन मन धन कीन्हों बलिहारी बार बार जमुहात ‘सूर’ […]

Sakhi Mohan Sang Mouj Karen

फागुन का रंग सखि, मोहन सँग मौज करें फागुन में मोहन को घरवाली बना के, गीत सभी मिल गाएँ री, फागुन में पकड़ श्याम को गलियन डोलें, ताली दे दे नाच नचाएँ मस्ती को कोई न पार आज, फागुन में हम रसिया तुम मोहन गोरी, कैसी सुन्दर बनी रे जोरी जोरी को नाच नचाओ रे, […]

Mohan Kahe Na Ugilow Mati

लीला मोहन काहे न उगिलौ माटी बार-बार अनरुचि उपजावति, महरि हाथ लिये साँटी महतारी सौ मानत नाहीं, कपट चतुरई ठाटी बदन उघारि दिखायौ आपनो, नाटक की परिपाटी बड़ी बेर भई लोचन उघरे, भरम जवनिका फाटी ‘सूर’ निरखि नंदरानि भ्रमति भई, कहति न मीठी खाटी

Sakhi Sapane Mohan Aaye

ब्रज की स्मृति सखि, सपने में मनमोहन आये बड़े दुखी है मथुरा में वे, कोई तो समझाये टप टप आँसू गिरें नयन से, घूम रहे उपवन में नहीं सँभाल पाते अपने को, व्याकुलता है मन में कहते प्राणेश्वरी राधिके, निश दिन रहूँ उदास लोग भले ही कहें यहाँ सुख, झूठ-मूठ विश्वास तेरे बिना एक पल […]