Aaj Hari Adbhut Ras Rachayo

रास लीला आज हरि अद्भुत रास रचायो एक ही सुर सब मोहित कीन्हे, मुरली नाद सुनायो अचल चले, चल थकित भये सबम मुनि-जन ध्यान भुलायो चंचल पवन थक्यो नहि डोलत, जमुना उलटि बहायो थकित भयो चंद्रमा सहित मृग, सुधा-समुद्र बढ़ायो ‘सूर’ श्याम गोपिन सुखदायक, लायक दरस दिखायो

Biharat Ras Rang Gopal

रास लीला बिहरत रास रंग गोपाल नवल स्यामहि संग सोभित, नवल सब ब्रजबाल सरद निसि अति नवल उज्जवल, नव लता बन धाम परम निर्मल पुलिन जमुना, कलपतरु विश्राम कोस द्वादस रास परिमिति, रच्यो नंदकुमार ‘सूर’ प्रभु सुख दियो निसि रमि, काम कौतुक हार

Ram Nam Ras Pije Manua

श्याम का रंग राम-नाम रस पीजै, मनुआ! राम-नाम रस पीजै ताज कुसंग, सत्संग बैठ नित, हरि-चर्चा सुन लीजै काम, क्रोध, मद लोभ, मोह कूँ बहा चित्त से दीजै ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, ताहि के रंग में भीजै

Radha Ras Ki Khani Sarasta Sukh Ki Beli

श्री राधा राधा रस की खानि, सरसता सुख की बेली नन्दनँदन मुखचन्द्र चकोरी, नित्य नवेली नित नव नव रचि रास, रसिक हिय रस बरसावै केलि कला महँ कुशल, अलौकिक सुख सरसावै यह अवनी पावन बनी, राधा पद-रज परसि के जिह राज सुरगन इन्द्र अज, शिव सिर धारें हरषि के

Saras Ras Hai Vrindavan Main

श्री वृन्दावन सरस रस है वृन्दावन में ग्यान ध्यान को मान न, रति-रस सरसत जन मन में राधे राधे-कहहिं लग्यौ मन, राधा जीवन में सबही को है सहज भाव, निजता को मोहन में ललन-लली की लाली ही तो, छाई कन कन में गोपी गोप मनहुँ प्रगटे नर-नारिन के तन में प्रिय को नित्य विहार प्रिया […]

Rasna Kyon Na Ram Ras Piti

राम रसपान रसना क्यों न राम रस पीती षट-रस भोजन पान करेगी, फिर रीती की रीती अजहूँ छोड़ कुबान आपनी, जो बीती सो बीती वा दिन की तू सुधि बिसराई, जा दिन बात कहीती जब यमराज द्वार आ अड़िहैं, खुलिहै तब करतूती ‘रूपकुँवरि’ मन मान सिखावन, भगवत् सन कर प्रीती