Udatta Charit Shri Raghav Ka

श्रीराम चरित्र उदात्त चरित श्री राघव का कर पाये थोड़ा अनुसरण, आदर्श बने जीवन उसका शील, शक्ति व सदाचार का, संगम प्रभु का जीवन है वे सत्वादी स्थित-प्रज्ञ, गम्भीर, गुणों के सागर है श्री राम धर्म के विग्रह ही अन्यत्र जो मिलना दुर्लभ है आदर्श पुत्र, भ्राता व मित्र पति की भी वे अभिव्यक्ति है […]

Pitaron Ka Shradha Avashya Kare

पितृ-श्राद्ध पितरों का श्राद्ध अवश्य करें श्रद्धा से करे जो पुत्र पौत्र, वे पितरों को सन्तुष्ट करें जो देव रुद्र आदित्य वसु, निज ज्ञान-शक्ति के द्वारा ही किस योनी में उत्पन्न कहाँ, कोई देव जानते निश्चय ही ये श्राद्ध वस्तु देहानुरूप, दे देते हैं उन पितरों को विधि पूर्वक होता श्राद्ध कर्म, आशीष सुलभ सन्तानों […]

Sab Se Bada Dharma Ka Bal Hai

धर्म निष्ठा सबसे बड़ा धर्म का बल है वह पूजनीय जिसको यह बल, जीवन उसका ही सार्थक है ऐश्वर्य, बुद्धि, विद्या, धन का, बल होता प्रायः लोगों को चाहे शक्तिमान या सुन्दर हो, होता है अहंकार उसको इन सबसे श्रेष्ठ धर्म का बल, भवसागर से जो पार करे जिस ओर रहे भगवान् कृष्ण, निश्चय ही […]

Kapiraj Shri Hanuman Ka

श्री हनुमान कपिराज श्री हनुमान का है वर्ण सम सिन्दूर के ललाट पर केशर तिलक, हाथों में वज्र ध्वजा गही अनुराग भारी झलकता, दो नयन से महावीर के गल-माल तुलसी की ललित, मुस्कान मुख पे खिल रही वे ध्यान में डूबे हुए, रघुकुल-तिलक श्री राम के पुलकायमान शरीर है, अद्भुत छटा है छा रही वे […]

Prabhu Ka Jo Anugrah Hota Hai

भक्त प्रभु का जो अनुग्रह होता है सांसारिकता से निवृत्ति हो, हरि का स्वरूप मन भाता है लीलाओं का वर्णन करते, वाणी गद्गद् हो जाती है तब रोता है या हँसता है, कभी नाचे या तो गाता है जब रूप गुणों में तन्मय हो, चित द्रवित तभी हो जाता है होता है भक्त जो कि, […]

Tiharo Krishna Kahat Ka Jat

चेतावनी तिहारौ कृष्ण कहत का जात बिछुड़ैं मिलै कबहुँ नहिं कोई, ज्यों तरुवर के पात पित्त वात कफ कण्ठ विरोधे, रसना टूटै बात प्रान लिये जैम जात मूढ़-मति! देखत जननी तात जम के फंद परै नहि जब लगि, क्यों न चरन लपटात कहत ‘सूर’ विरथा यह देही, ऐतौ क्यों इतरात

Kar Chintan Shri Krishna Ka

श्री राधाकृष्ण कर चिन्तन श्रीकृष्ण का, राधावर का ध्यान अमृत ही अमृत झरे, करुणा-प्रेम निधान जप तप संयम दान व्रत, साधन विविध प्रकार श्रीकृष्ण से प्रेम ही, निगमागम का सार कृष्ण कृष्ण कहते रहो, अमृत-मूरि अनूप श्रुति-शास्त्र का मधुर फल, रसमय भक्ति स्वरूप श्रीराधा की भक्ति में निहित प्यास का रूप आदि अन्त इसमें नहीं, […]

Prabhu Ka Sharanagat Ho Jayen

शरणागति प्रभु के शरणागत हो जायें अपने बल का अभिमान त्याग, उनका ही आश्रय ले पायें प्रभु का ही अंश है जीव मात्र, अंशी की शरण से दुख न रहे साधना ऐसा कोई न और, चिंताएँ भय सब शोक बहे वेदों का सार उपनिषद् है, भगवद्गीता उनका भी सार उसका भी सार शरणागति है, भव-निधि […]

Rana Jimhe To Govind Ka Gun Gasyan

भक्ति भाव राणाजी! म्हे तो गोविन्द का गुण गास्याँ चरणामृत को नेम हमारे, नित उठ दरसण जास्याँ हरि मंदिर में निरत करास्याँ, घूँघरिया धमकास्याँ राम नाम का झाँझ चलास्याँ, भव सागर तर जास्याँ यह संसार बाड़ का काँटा, सो संगत नहिं करस्याँ ‘मीराँ’ कहे प्रभु गिरिधर नागर, निरख परख गुण गास्याँ

Karmo Ka Fal Hi Sukh Dukh Hai

कर्म-फल कर्मों का फल ही सुख दुख है जिसने जैसा हो कर्म किया, उसका फल वह निश्चित पायेगा जो कर्म समर्पित प्रभु को हो, तो वह अक्षय हो जायेगा जो भी ऐसा सत्कर्मी हो, वह उत्तम गति को पायेगा जो व्यक्ति करे निष्काम कर्म, सर्वथा आश्रित प्रभु के ही ऐसे भक्तों का निस्संदेह, उद्धार स्वयं […]