शिव द्वारा कृष्ण दर्शन
मैं जोगी जस गाया बाला, मैं जोगी जस गाया
तेरे सुत के दरसन कारन, मैं काशी तज आया
पारब्रह्म पूरन पुरुषोत्तम, सकल लोक जाकी माया
अलख निरंजन देखन कारन, सकल लोक फिर आया
जो भावे सो पावो बाबा, करो आपुनी दाया
देउ असीस मेरे बालक को, अविचल बाढ़े काया
ना लेहौं मैं पाट पाटंबर, ना तेरी कंचन माया
मुख देखों तेरे बालक को, यह मेरे मन भाया
कर जोरे बिनवै नंदरानी, सुन हे जोगी राया
मुख देखन नहीं देहौं बाबा, बालक जात डराया
जाकी दृष्टि सकल जग ऊपर, सो क्यों जात डराया
तीन लोक को मालिक मेरो, तेरे भवन छिपाया
बालकृष्ण को लाइ जसोदा, कर अंचल मुख छाया
गोद पसार चरन-रज बंदी, अति आनंद बढ़ाया
निरखि निरखि मुख पंकज लोचन, नैनन नीर बहाया
‘सूर’ परिकमा करके शिव ने, सींगी-नाद बजाया

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