Tum Bin Jiwan Bhar Bhayo

शरणागति
तुम बिन जीवन भार भयो!
कब लगि भटकाओगे प्रीतम, हिम्मत हार गयो
कहाँ करों अब सह्यो जात नहिं, अब लौ बहुत सह्यो
अपनो सब पुरुषारथ थाक्यों, तव पद सरन गह्यो
सरनागत की पत राखत हो, सब कोऊ यही कह्यो
करुणानिधि करुणा करियो मोहि, मन विश्वास भयो

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