अन्नकूट
यह लीला सब करत कन्हाई
जेंमत है गोवर्धन के संग, इत राधा सों प्रीति लगाई
इत गोपिनसों कहत जिमावो, उत आपुन जेंमत मन लाई
आगे धरे छहों रस व्यंजन, चहुँ दिसि तें सोभा अधिकाई
अंबर चढ़े देव गण देखत, जय ध्वनि करत सुमन बरखाई
‘सूर’ श्याम सबके सुखकारी, भक्त हेतु अवतार सदाई

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