युगल सरकार
एक ही स्वरूप राधिका कृष्ण, लीला रस हेतु ही पृथक रूप
एक प्राण हैं श्री राधा मोहन, अरु प्रीति परस्पर भी अनूप
राधा रानी है पूर्ण शक्ति, गोवर्धन-धारी शक्तिमान
श्रीकृष्ण पुकारे राधा को, मुरली में गूँजे वही तान
आह्लाद रूपिणी श्री राधा, श्री विग्रह उनका चपला सा
मुख की सुंदरता अद्वितीय और हाव-भाव लक्ष्मी जैसा
नित नूतन यौवन मन्द हास्य, गतिमान नयन मन को मोहे
उनका विशिष्ठ है अधर-राग, आभूषण अंगों पर सोहे
रासेश्वरी को शत शत प्रणाम, श्रीकृष्ण करें चिन्तन जिनका
वृषभानु-सुता का करें ध्यान, हो स्वतः गान नँदनंदन का  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *