Om Jay Ganpati Deva
गणपति की आरती ॐ जय गणपति देवा, प्रभु जय गणपति देवा जयति शिवा-शिव नन्दन, सन्त करे सेवा —-ॐ जय…… अघ नाशक, वर दाता, भक्तों के भूषण —-प्रभु भक्तों…… ॠद्धि-सिद्धि के दाता, दूर करें दूषण —-ॐ जय…… श्रुति अरु यज्ञ विभूषित, विघ्नों के हर्ता —-प्रभु विघ्नों …… सुख-निधि शांति-निकेतन, बुद्धि विमलकर्ता —-ॐ जय …… सुर, नर, […]
Sarva Pratham Ganapati Ko Puje
श्री गणेश स्तवन सर्वप्रथम गणपति को पूजे, पश्चात् कार्य आरम्भ करें जो सृष्टि के कर्ता-धर्ता, वे विपदाएँ तत्काल हरें गजवदन विनायक एकदन्त जो, प्रगट भये सब हर्ष भरे मुदित हुए पार्वति शिवशंकर, इन्द्र, अप्सरा नृत्य करें वक्रतुण्ड लम्बोदर गणपति, निरख चन्द्रमा हँसी करे शाप दियो तब चन्द्रदेव को, कलाहीन तत्काल करे ॠद्धि-सिद्धि के बीच विराजै, […]
Sarvatra Bramh Ki Satta Hi
ब्रह्ममय जगत् सर्वत्र ब्रह्म की सत्ता ही यह जगत् जीव के ही सदृश, है अंश ब्रह्म का बात यही माया विशिष्ट हो ब्रह्म जभी, तब वह ईश्वर कहलाता है ईश्वर, निमित्त व उपादान से दृश्य जगत् हो जाता है जिस भाँति बीज में अंकुर है, उस भाँति ब्रह्म में जग भी है सो जीव, सृष्टि, […]
Samast Srushti Jis Ke Dwara
बुद्धियोग समस्त सृष्टि जिसके द्वारा, सर्वात्मा ईश्वर एक वही सब लोक महेश्वर शक्तिमान, सच्चिदानन्दमय ब्रह्म वही जो कर्म हमारे भले बुरे, हो प्राप्त शुभाशुभ लोक हमें उत्तम या अधम योनियाँ भी, मिलती हैं तद्नुसार हमें हम शास्त्र विहित आचरण करें, शास्त्र निषिद्ध का त्याग करें सांसारिक सुख सब नश्वर है, भगवत्प्राप्ति का यत्न करें निष्काम […]
Samarpan Karun Buddhi Bal Mera
भीष्मजी द्वारा स्तवन समर्पण करूँ बुद्धि बल मेरा और न कुछ भी दे पाऊँ प्रभु, जो भी है वह तेरा मेरा मन आबद्ध जगत् में, घट घट के प्रभु वासी दो प्रबोध हे त्रिभुवन-सुन्दर! वृन्दावन के वासी पंकज-नयन, तमाल-वर्ण, आवृत अलकावली मुख पे पीत वसन रवि-किरणों के सम, शोभित श्यामल तन पे अनुपम शोभा कुरुक्षेत्र […]
Sab Se Bada Dharma Ka Bal Hai
धर्म निष्ठा सबसे बड़ा धर्म का बल है वह पूजनीय जिसको यह बल, जीवन उसका ही सार्थक है ऐश्वर्य, बुद्धि, विद्या, धन का, बल होता प्रायः लोगों को चाहे शक्तिमान या सुन्दर हो, होता है अहंकार उसको इन सबसे श्रेष्ठ धर्म का बल, भवसागर से जो पार करे जिस ओर रहे भगवान् कृष्ण, निश्चय ही […]
Sab Chala Chali Ka Mela Hai
नश्वर संसार सब चला चली का मेला है कोई चला गया कोई जाने को, बस चार दिनों का खेला है घर बार कपट की माया है, जीवन में पाप कमाया है ये मनुज योनि अति दुर्लभ है, जिसने दी उन्हें भुलाया है विषयों में डूब रहा अब भी, जाने की आ गई वेला रे सब […]
Sanakadik Devon Ke Purvaj
श्री सनकादि का उपदेश सनकादिक देवों के पूर्वज, ब्रह्माजी के मानस ये पूत मन में जिनके आसक्ति नहीं, वे तेजस्वी प्रज्ञा अकूत है सदुपदेश उनका ये ही ‘धन इन्द्रिय-सुख के हों न दास’ पुरुषार्थ चतुष्टय उपादेय, सद्भाव, चरित का हो विकास विद्या सम कोई दान नहीं, सत् के समान तप और नहीं आसक्ति सदृश न […]
Sadashiv Bholenath Kahayen
सदाशिव महिमा सदाशिव भोलेनाथ कहाये आशुतोष भयहारी शम्भो, महिमा ॠषि-मुनि गाये शरणागत जो करे याचना, वह निहाल हो जाये औढरदानी विरुद तिहारो, अन्य देव सकुचाये वर देकर विचित्र संकट में, अपने को उलझाये भस्मासुर बाणासुर से श्री हरि निस्तार कराये तीन नयन, सर्पों की माला, चिता भस्म लपटाये अशुभ वेष धारण तुम कीन्हों, तो भी […]
Satswarup Hai Aatma
सत्य दर्शन सत्स्वरूप है आत्मा, जो स्वभावतः सत्य झूठ बाहरी वस्तु है, जो अवश्य ही त्याज्य धन आसक्ति प्रमादवश, व्यक्ति बोलता झूठ सत्य आचरण ही करें, प्रभु ना जाए रूठ छद्म पूर्ण हो चरित तो, कहीं न आदर पाय कपट शून्य हो आचरण, विश्वासी हो जाय काम क्रोध व लोभ है, सभी नरक के द्वार […]